उदयपुर. स्वावलम्बी भारत अभियान के अंतर्गत स्वदेशी जागरण मंच एवं भारत विकास परिषद द्वारा ‘दीनदयाल जी के सपनों का भारत’ विषय पर नागरिक सम्मेलन एवं युवा उद्यमी सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्वावलम्बी भारत अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक सतीश कुमार ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि समाज के अंतिम व्यक्ति की समृद्धि ही राष्ट्र की समृद्धि होगी. आज के परिपेक्ष्य में रोजगार एक बड़ी समस्या के रूप में नजर आती है. इसके लिये आर्थिक क्षेत्र के 32 संगठनों ने एक साथ मिलकर काम करना तय किया है. देश की 15 वर्ष से 64 वर्ष की आयु वाली कर्मशील युवा शक्ति के सामने बेरोजगारी का अर्थ केवल नौकरी न होना ही है, जबकि वे स्वावलम्बन या पैतृक काम को अंतिम विकल्प के रूप में ही लेते हैं. भारत अंग्रेजों के आने से पहले नौकरी को हीन भावना या कर्तव्य परायणता से ही देखता रहा था क्योंकि अंग्रेजों को अपने काम के लिये सर्वेंट्स की आवश्यकता बनी रहती थी, इसलिये शिक्षा पद्धति में सर्विस को आधार बना दिया. देश के युवाओं को स्वावलम्बन के लिये तैयार करना, उनको साधन तकनीकी, बैंकिंग आदि की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये स्वावलम्बी भारत अभियान ने भारत के 400 जिलों में जिला रोजगार सृजन केंद्र स्थापित किये है. यह केंद्र बेरोजगार ओर नियोक्ता के मध्य सेतु का काम करेगा. इस अमृतकाल में सभी को रोजगार युक्त करना हमारा उद्देश्य है.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि धर्मेंद्र दुबे ने कहा कि आज भारत चंद्रयान भी स्वदेश में निर्मित छोड़ रहा है, देश में ही मिसाइल, तोप, टैंक आदि बना रहा है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संपर्क प्रमुख श्याम मनोहर ने कहा कि राजनीति ने एक नैरेटिव सेट किया कि भारत की बढ़ती जनसंख्या भारत के विकास में बाधक है, इसके लिये उसे किसी भी प्रकार रोकना होगा. इस गलत विचार ने भारत के विकास को रोक दिया. कर्मशील युवा अब किसी भी प्रकार के जोखिम लेने से बचने लगा है. अपने आर्थिक और सामाजिक स्तर के लिये सुरक्षित भविष्य को नौकरी में ही देखता है. इस कारण युवाओं में मानसिक तनाव-अवसाद बढ़ने लगा है. युवाओं को आर्थिक समृद्धि भी एक समय बाद संतुष्टि नहीं दे पा रही.
प्रदीप कुमावत ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम में युवा उद्यमी कैलाश नागदा, पंकज जैन, रतन मेहता, अनिल भटनागर, राकेश शर्मा, डॉ नवनीत अग्रवाल, विष्णु सुहालका एवं जय प्रकाश बंसल का सम्मान किया गया.