कानपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कानपुर महानगर की शाखा टोली के स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि कुम्हार की चाक पर मिट्टी घूमते-घूमते जैसे एक विशेष वस्तु के आकार को प्राप्त कर लेती है. वैसे ही संघ की शाखा में आने वाले स्वयंसेवक व्यक्तिगत से उठकर राष्ट्रहित का चिंतन करने लगता है. उसकी दृष्टि में संपूर्ण समाज उसका परिवार हो जाता है. यही संघ का वैशिष्ट्य है. यही संघ के संस्कार हैं. एक मैदान, एक पार्क में लगने वाली शाखा के स्वयंसेवक के लिए शाखा क्षेत्र का प्रत्येक परिवार उसका अपना परिवार हो जाता है. प्रत्येक परिवार के दुख, उत्सव स्वयंसेवकों के जीवन का अंग हो जाता है.
उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक और संघ को अपने लिए कुछ नहीं करना है. उसके लिए सर्वप्रथम देश है. शाखा एक ऐसी साधना स्थली है, जहां पर आने वाला स्वयंसेवक प्रत्येक कार्य को देश समाज हित में केंद्रित करके ही सोचता है. वर्षों-वर्ष साथ में ही शाखा आने वाले लोग यह नहीं जानते कि उनकी आपस में जाति क्या है. 1925 से लेकर आज तक हमने इस पवित्र संस्कार को बनाए रखा है. कहने में यह सरल लगता है, परंतु इसकी निरंतरता बनाए रखना इतना सरल नहीं होता है. यह संघ के ही संस्कार हैं कि यह निरंतरता बनी हुई है…it is simple, but not easy.
कार्यक्रम में क्षेत्र संघचालक वीरेन्द्र पराक्रमादित्य जी, प्रान्त संघचालक भवानी भीख जी, विभाग संघचालक डॉ. श्याम बाबू गुप्त जी, क्षेत्र प्रचारक अनिल जी, व स्वयंसेवक उपस्थित रहे.