चित्रकूट. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्व. मदनदास देवी जी की पावन स्मृति में दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट के विवेकानन्द सभागार में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की. दीनदयाल शोध संस्थान के संरक्षक एवं मार्गदर्शक रहे मदन दास जी को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित सभा में संघ और विविध संगठनों के अतिथियों ने अपने संस्मरण साझा किए.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश सोनी जी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मदन दास जी कहते थे कि चिंतन हमारा व्यापक होना चाहिए, किंतु कार्य स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर ही होना चाहिए. वह विरोधाभास के बीच भी समन्वय बनाकर चलते थे. जीवन में संतुलन बनाकर समाज में सभी के प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए कार्य करना, यह उनका प्रमुख गुण था. दुनिया में आए हैं तो जाना भी अनिवार्यता है, जाने के बाद उनकी स्मृतियां शेष रह जाती है. कुछ स्मृतियां पानी के ऊपर की लकीर की तरह होती हैं जो कुछ समय रहती हैं और फिर विस्मृत हो जाती हैं. परंतु कुछ स्मृतियाँ पत्थर की लकीर की तरह होती हैं जो सदैव अंकित रहती हैं.
संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा कि सभी कार्यकर्ताओं को उनके बताए मार्ग पर निरंतर पुरुषार्थ के बल पर चलते रहना है. वे कहते थे, राष्ट्रहित सर्वोपरि है. यही गुण उनके व्यक्तित्व से हम सभी को सीखना है, और प्रभु हम सबको उनके सद्गुणों से परिपूर्ण कर उनके मार्ग पर चलने में मदद करें.
डीआरआई के अध्यक्ष वीरेंद्र पराक्रमादित्य ने कहा कि उनकी दृष्टि एवं सोच अत्यंत दूरदर्शी थी. वह कुशल वक्ता, संगठनकर्ता, मार्गदर्शक के साथ-साथ विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे. कार्यकर्ताओं के मनोभावों को शीघ्रता से समझ कर वह मार्ग प्रशस्त करते थे. वह संसाधनों की जगह साध्य पर विश्वास करते थे.
श्रद्धांजलि सभा का संचालन डीआरआई के प्रधान सचिव अतुल जैन ने किया. राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि मदन दास देवी के देहावसान से अपूर्णीय क्षति हुई है. उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्रसेवा में समर्पित कर दिया. वह कार्यकर्ता की छोटी-छोटी बातों को सदैव ध्यान रखते थे. वह कहते थे राष्ट्र निर्माण करने के लिए समाज में कार्य करने के लिए सभी का विश्वास अर्जित करना, स्वाभिमान के साथ कार्य करना, साथ ही समाज निर्माण में मान अपमान का भाव ना रखना, सभी के साथ समभाव के साथ कार्य करना एवं अपनी विश्वसनीयता समाज में बनाए रखना ही सबसे महत्वपूर्ण है. इन गुणों को समावेशित कर हम स्वयं, परिवार एवं समाज तथा राष्ट्र निर्माण में सफल हो सकते हैं. वे कार्यकर्ताओं में उत्प्रेरक का कार्य करते थे.
गणेश सिंह (सांसद, सतना) ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि समाज के सभी लोगों को एक सूत्र में पिरोकर राष्ट्र निर्माण के कार्य के लिए प्रेरित करने का कार्य करते थे. वह महान व्यक्तित्व के धनी थे तथा कार्यकर्ताओं को सदैव सुलभता के साथ उपलब्ध रहकर उनकी समस्याओं का समाधान भी करते थे.