जम्मू कश्मीर. प्रदेश में आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करते हुए SIA ने आतंकवाद से संबंधित मामलों में सभी भगोड़े आतंकियों का पता लगाने और उन्हें अदालत के समक्ष पेश करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है. इसी अभियान के फलस्वरूप SIA को बड़ी सफलता हाथ लगी, SIA की टीम ने 3 दशकों से फरार चल रहे 8 आतंकियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आतंकियों में कुछ ओवर ग्राउंड वर्कर OGW और 2 सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं.
SIA से जुड़े अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि गिरफ्तार किए गए सभी 8 भगोड़े आतंकवादी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल थे. उन पर 3 दशक पहले जम्मू संभाग के डोडा जिले के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में टाडा के तहत मामले दर्ज किए गए थे. साथ ही टाडा अदालत जम्मू में आरोप पत्र दायर किए गए थे. हालांकि यह सभी पकड़े जाने से पहले ही फरार हो गए थे. इससे भी बड़ी बात ये रही कि इनमें कुछ ऐसे भी भगोड़े हैं जो सरकारी सेवाओं में शामिल थे. इसके अलावा कुछ लोगों का अपना कारोबार भी है और कुछ अदालतों में भी काम करते थे.
वहीं फरार आतंकियों की बात की जाए तो कश्मीर संभाग में 417 और जम्मू संभाग में 317 सहित कुल 734 भगोड़ों में से 327 टाडा और आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) मामलों में वांछित थे. इन मामलों में SIA ने अब तक 369 भगोड़ों का सत्यापन और पहचान की है. रिपोर्ट्स के अनुसार, जम्मू संभाग में 215 और कश्मीर संभाग में 154 आतंकी पकड़े जा चुके हैं. 369 सत्यापित भगोड़ों में से 80 आतंकियों की मौत हो चुकी है. 45 (POJK) और अन्य देशों में जाकर रह रहे हैं. इनमें से 127 आतंकियों का पता नहीं चल पाया है और 4 जेलों में बंद हैं.
SIA ने गिरफ्तार आतंकियों की पहचान के बारे में बताया कि पकड़े गए आतंकियों में जम्मू संभाग के आदिल फारूक फरीदी, जो वर्तमान में जम्मू कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन में तैनात एक सरकारी कर्मचारी है. वहीं इशफाक अहमद, जो डोडा अदालत परिसर में एक लेखक के रूप में काम कर रहा था. इसके अलावा मोहम्मद इकबाल, मुजाहिद हुसैन, तारिक हुसैन, इश्तियाक अहमद देव, एजाज अहमद और जमील अहमद, ये सभी भगोड़े पकड़े गए हैं. उनके खिलाफ जारी वारंट के अनुपालन में उन्हें जम्मू में टाडा/पोटा अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा.
पकड़े गए आतंकवादी 1991 और 1993 के बीच हत्याओं, फिरौती के लिए अपहरण, प्रार्थना सभाओं के दौरान झूठी बातें स्थापित करके लोगों को हिंसा के लिए उकसाने और बंदूक की नोक पर अत्याचार सहित विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे. 22 जून, 1994 को डोडा के शंबाज इलाके में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद की बरामदगी के बाद एक एफआईआर में उनका नाम शामिल किया गया था. ये सभी भगोड़े आतंकवादी कानून से बचने के लिए भाग गए थे. ये इतने लंबे समय से सामान्य जीवन कैसे जी रहे थे, इसकी एसआईए द्वारा जांच की जाएगी.