नई दिल्ली. दिल्ली में स्थित संस्कार भारती कला संकुल कला प्रेमियों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है. केंद्र में पिछले वर्ष से लगातार कला विधाओं की संगोष्ठी का मासिक आयोजन किया जाता है जो संगीत, नाटक, नृत्य, साहित्य चित्रकला सहित तमाम विधाओं के प्रतिभाओं को अपनी प्रस्तुति देने का अवसर दे रहा है जो उदयीमान है, साथ ही कला क्षेत्र के वरिष्ठ कर्मियों के साथ विमर्श कर नए कलाकारों को मार्गदर्शन एवं कला के नए आयामों की संभावनाओं पर परिचर्चा तथा संगोष्ठी कर रहा है.
इसी कड़ी में 17 सितंबर 2023, रविवार को कला संकुल, संस्कार भारती के अमर्त्य : साहित्य कला संवाद के भाग-2 एवं प्रसिद्ध लेखक, कवि सह अभिनेता अरुण शेखर की नयी कृति कविता संग्रह ‘कहना शेष है’ का लोकार्पण का आयोजन संस्कार भारती केन्द्रीय कार्यालय के सभागार में संपन्न हुआ. इसके आमंत्रित अतिथि प्रख्यात चित्रकार धर्मेन्द्र राठौर थे. कार्यक्रम की विधिवत् शुरुआत धर्मेन्द्र राठौर, संस्कार भारती के अखिल भारतीय कार्यकारणी के सदस्य अशोक कुमार तिवारी और प्रसिद्ध लेखक, अभिनेता अरुण शेखर जी आदि गणमान्यों ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ की. अमर्त्य साहित्य-कला संवाद में जलज कुमार अनुपम से वार्ता के क्रम में धर्मेन्द्र राठौर ने कहा कि भारतीय कलाकारों ने केवल पाश्चात्य कला का अनुसरण नहीं किया है, अपितु उन लोगों ने भारतीय कला चिंतन पर जोर देते हुए अपनी मौलिकता पर भी जोर दिया है.
इस मौके पर प्रसिद्ध लेखक, कवि सह अभिनेता अरुण शेखर की नयी कृति कविता संग्रह ‘कहना शेष है’ के लोकार्पण कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार राजेश कुमार जी ने की, व्यंग्यकार लालित्य ललित मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे. विशिष्ट अतिथि के भूमिका में व्यंग्य लेखक, कवि रणवीर राव तथा डॉ संजीव कुमार. अरुण शेखर को उनके नाट्य संग्रह आ से ‘आम पर चर्चा’ के लिए महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिल चुका है. उनका प्रथम कविता संग्रह ‘मेरा ओर न छोर’ पाठकों द्वारा खूब सराहा गया.
अरुण शेखर मूलतः रंगमंच, सिनेमा से जुड़े हैं. सिनेमा में अभिनय के साथ लेखन किया, अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म हॉलिडे के संवाद लिखे. सोनाक्षी सिन्हा अभिनीत फिल्म अकीरा की स्क्रिप्ट लिखी. वहीं चित्रकार धर्मेन्द्र राठौर ने वर्तमान समय में कला जगत में आलोचकों की कमी को इंगित करते हुए उनके आलोचक कम प्रशंसक अधिक होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की. साथ ही इस क्षेत्र में कलाकारों को सकारात्मक आलोचना के माध्यम से सही दिशा निर्देश देने वाली संस्था की आवश्यकता पर जोर दिया.
सारस्वत अनुष्ठान को संपन्न करने में सह संयोजक भूपेन्द्र कुमार भगत, अनामिका और साथियों ने भूमिका निभाई. मंच संचालन हर्षित तिवारी, शांति पाठ उमेश गुप्ता तथा धन्यवाद ज्ञापन सिमरन ने किया. कार्यक्रम में अनेक छात्र, शोधार्थी, विद्वान व अनेक कला प्रेमी उपस्थित रहे.