नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन ने कहा कि भारत का संविधान और न्यायपालिका बार-बार कहती है कि कॉमन सिविल कोड लागू होना चाहिए. लॉ कमीशन ने सम्पूर्ण देश की राय जानने के लिए एक निमंत्रण भेजा. यह स्वागत योग्य कदम है. इससे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं हो सकती.
डॉ. जैन ने कहा कि जिसका विरोध है, वह दर्ज कर सकता है. जिसके सुझाव हैं, वह दे सकता है. जिसको सहमति है, वह सहमति दे सकता है. लेकिन इस मौके का उपयोग जिस प्रकार कुछ मुस्लिम नेताओं ने, कुछ मुल्ला- मौलवियों ने समाज को भड़काने के लिए किया है, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. वे कहते हैं कि यह हमारे शरियत पर हमला है. भारत में जो शरियत है, वह तो 1937 में अंग्रेजों की दी हुई शरियत है. उन्होंने कोडीफाई किया था. क्या भारत की शरियत सऊदी अरब, इराक, इरान की शरियत जैसी है? यदि अल्लाह की होती तो पुरी दुनिया में एक जैसी शरियत होती. उन्होंने मुस्लिम नेताओं से कहा कि वे मुस्लिम समाज को शरियत के नाम पर भड़काना बंद करें.
क्या आप नहीं चाहते कि आपकी बच्चियाँ तीन तलाक के डंक से मुक्त हो सकें? क्या आप नहीं चाहते कि आपकी लड़कियाँ हलाला जैसी पीड़ा को भुगतना बंद करें? क्या आप नहीं चाहते कि मुताह निकाह के अंतर्गत अरब के शेख आकर 12-13 साल की बच्चियों का कुछ दिनों के लिए यौन शोषण करते हैं, अपने साथ रखते हैं, और फिर छोड़कर चले जाते हैं, उनको इस परंपरा से मुक्ति मिले और मुस्लिम समाज की लड़कियाँ भी बाकि समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ सकें? क्या हमेशा उनको सेक्स स्लेव बनाकर रखना चाहते हो?
उन्होंने कहा कि अब तो आपने सभी सीमाएं पार कर दी. क्यू आर कोड जारी कर रहे हैं, जिससे सबकी एक जैसी राय हो. यौमे नमाज की घोषणा की गई है. कल जुम्मे का दिन है. पूरे देश का मुस्लिम समाज सड़कों पर उतरे, नमाज करे और विरोध करे, कॉमन सिविल कोड का. इतना ही नहीं, तकरीरें होंगी केन्द्र सरकार के खिलाफ, हिन्दू समाज के विरूद्ध, कॉमन सिविल कोड के खिलाफ.
डॉ. सुरेन्द्र जैन ने पूछा कि क्या ये इस बात का आश्वासन दे सकते हैं कि कोई सिरफिरा सड़कों पर उतरकर हिंसा नहीं करेगा?