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संस्कृत, व्याकरण, वेदांत के ज्ञाता बिद्यापति दहाल को मिला प्रागज्योतिषपुर साहित्य पुरस्कार - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

संस्कृत, व्याकरण, वेदांत के ज्ञाता बिद्यापति दहाल को मिला प्रागज्योतिषपुर साहित्य पुरस्कार

गुवाहाटी. प्रागज्योतिषपुर साहित्य महोत्सव 2024 के अंतिम दिन, प्रागज्योतिषपुर साहित्य पुरस्कार 2024 का वितरण किया गया. यह पुरस्कार श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र के माधवदेव अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षागृह में आयोजित समापन समारोह के दौरान प्रदान किए गए.

मुख्य अतिथि प्रसिद्ध शिक्षाविद और साहित्यकार डॉ. अमरज्योति चौधरी की उपस्थिति में आयोजित समारोह में नेपाली भाषा के लेखक बिद्यापति दहाल को प्रागज्योतिषपुर साहित्य पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया. दहाल, संस्कृत के विद्वान और व्याकरण, वेदांत तथा साहित्य में विशेषज्ञ हैं, उन्होंने नेपाली और हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और व्यापक प्रशंसा प्राप्त की है. उनके लेखन में भाषा और व्याकरण की गहराई झलकती है, जो साधारण लोगों के जीवन को प्रतिबिंबित करती है. पुरस्कार प्राप्त करने के बाद दहाल ने कहा, प्रागज्योतिषपुर साहित्य महोत्सव भाषा और साहित्य के क्षेत्र में आशा का संदेश लेकर आया है. यह पुरस्कार प्राप्त कर मुझे अत्यंत आनंद और प्रेरणा मिली है.

प्रागज्योतिषपुर युवा साहित्य पुरस्कार 2024 शिवसागर जिले के दिखोमुख निवासी युवा लेखक सुप्रकाश भुइयां को प्रदान किया गया. 1990 में जन्मे सुप्रकाश के माता-पिता शांतिराम भुइयां और रानू भुइयां हैं. सुप्रकाश ने प्रकाश, प्रांतिक, गरियशी और सातसरी जैसी प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं में अपनी कहानियों के माध्यम से पहचान बनाई है. उन्होंने समाज और राजनीति पर विचारोत्तेजक लेख भी लिखे हैं, जिससे उनकी बौद्धिक पहचान स्थापित हुई है. पुरस्कार प्राप्त करने के बाद सुप्रकाश ने कहा, सम्मान प्रेरित करता है और व्यक्ति को नई जिम्मेदारियों से जोड़ता है. यह पुरस्कार प्राप्त कर मुझे भी अपने कार्य को जारी रखने की प्रेरणा मिली है.

मुख्य अतिथि डॉ. अमरज्योति चौधरी ने कहा कि शंकरदेव शिक्षा और अनुसंधान ट्रस्ट द्वारा आयोजित प्रागज्योतिषपुर साहित्य महोत्सव एक अभिनव पहल है. यह महोत्सव, जो अपनी जड़ों की तलाश में आयोजित किया गया है, नई सोच के द्वार खोल रहा है. यह विशेष रूप से युवा पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक है. महोत्सव की चर्चाएं विरासत, परंपरा, समाज, आत्मबोध और गौरव जैसे विषयों को समेटे हुए हैं. सुथाकंठ डॉ. भूपेन हजारिका के समग्र कार्यों में राष्ट्रीय जिम्मेदारी, सद्भाव और सार्वभौमिक दर्शन स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं, जो वास्तव में हमारे समाज और संस्कृति का दृष्टिकोण हैं. युवा पीढ़ी को इन पहलुओं को समझने के लिए प्रेरित होना चाहिए, और मुझे विश्वास है कि प्रागज्योतिषपुर साहित्य महोत्सव ऐसा वातावरण तैयार करेगा.

समारोह में प्रागज्योतिषपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. स्मृति कुमार सिन्हा, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध पत्रकार अनुराधा शर्मा पुजारी, और प्रागज्योतिषपुर साहित्य महोत्सव 2024 के कार्यकारी अध्यक्ष सौम्यदीप दत्ता शामिल थे.

कार्यक्रम का समापन शास्त्रीय गायक सरत राग में प्रस्तुत भावपूर्ण बरगीत के साथ हुआ, जिसने श्रोताओं को गहराई से प्रभावित किया. कार्यक्रम का संचालन हिरकज्योति शर्मा ने किया, जबकि धन्यवाद् ज्ञापन प्रागज्योतिषपुर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. योगेश काकती ने किया.

नेपाली प्रागज्योतिषपुर विश्वविद्यालय. प्रागज्योतिषपुर साहित्य महोत्सव शिवसागर 

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