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भारत ने व्यवहार से वसुधैव कुटुम्बकम की भावना चरितार्थ की है – दत्तात्रेय होसबाले जी - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

भारत ने व्यवहार से वसुधैव कुटुम्बकम की भावना चरितार्थ की है – दत्तात्रेय होसबाले जी

वड़ोदरा.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, वड़ोदरा महानगर ने 12-10-2023 (रविवार) को “महानगर वस्ती संगम” का आयोजन किया. बस्ती संगम में मुख्य वक्ता सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि संघ का स्वयंसेवक बनना यानि एक दायित्व है, एक प्रतिबद्धता है. एक जीवन शैली को हम स्वीकार करते हैं. समाज के अंदर एक परिवर्तन के, राष्ट्र की उन्नति के, वैभव के विभिन्न उपक्रमों में लोगों को जोड़ते हुए, भारत को एक श्रेष्ठ राष्ट्र बनाएं, ऐसे एक महान लक्ष्य को लेकर संघ का स्वयंसेवक कार्यरत है.

उन्होंने कहा कि भारत की एक वैश्विक भूमिका है, भारत का एक सपना है कि इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव आनंद से, सुख से जियें. प्राचीनकाल से हमारे ऋषि मुनियों ने विश्व कल्याण का मंत्र दिया है. यही सन्देश G-20 के माध्यम से भारत ने विश्व को दिया. भारत में दुनिया भर से अनेक लोग पीड़ित होकर आए और यहाँ बस गए, भारत ने कभी उनके साथ अन्याय नहीं किया. उन्हें शरण दी, चाहे वो पारसी हों या इस्रायल से आये यहूदी. भारत ने हमेशा अपने व्यवहार से वसुधैव कुटुम्बकम को चरितार्थ किया है. हम जब वसुधैव कुटुम्बकम कहते हैं तो मात्र कहते नहीं, वैसा व्यवहार भी करते हैं.

उन्होंने कहा कि इस देश पर आक्रांताओं ने आक्रमण भी किया, तब भी धर्म, संस्कृति को बचाने के लिए यहाँ का हिन्दू समाज खड़ा रहा. जब-जब हम एक एकता के भाव को भूले, तब-तब संकट आया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य देश की सुसुप्त शक्ति को जागृत रखना है. संघ का कार्य इस समाज की एकता को कायम रखना है. स्वयंसेवकों का कार्य सारा समाज एक है, हमारा है, इस विशाल भाव से प्रतिदिन साधना करना रहा है. इसी उद्देश्य से पिछले 98 वर्षों से संघ की साधना चली है. संघ का लक्ष्य समाज के पुरुषार्थ को जगाना है. जब समाज सब प्रकार के भेदभाव को भूलकर खड़ा होगा, तब हम अद्भुत परिणाम प्राप्त करेंगे. इसलिए हर बस्ती में, हर मोहल्ले में, हर गांव में, हर शहर में समाज के लिए काम करने वाले लोग तैयार होने चाहिएं. संघ का काम यानि संघ की पद्धति से अपना जीवन चलाना, चार लोगों को जोड़ना, संघ की पद्धति को समझकर उस दिशा में चलने का निरंतर प्रयत्न करना है.

साथ ही समाज में राष्ट्र विरोधी शक्तिओं से निपटने की ताकत भी होनी चाहिये. अपना समाज सुरक्षित रहे, किसी प्रकार के शोषण का शिकार न बने, मत परिवर्तन का शिकार न बने, ये सब भी हमें करना पड़ेगा. इसलिए समाज की सेवा, समाज के संस्कार, समाज की रक्षा का कार्य करने के लिए समाज की सज्जन शक्ति को जोड़ना. हर बस्ती के अंदर हिन्दुत्व की प्रखर भावना के साथ आपस में सहयोग और सामंजस्य, समन्वय, सेवा और सहयोग का वातावरण हम निर्माण करें.

सरकार्यवाह जी ने कहा कि विज्ञान और टेक्नोलॉजी के विकास के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा, प्रकृति की रक्षा, संस्कार, परस्पर आत्मीयता का भी हमें ध्यान रखना चाहिए. समाज में समरसता लाने का प्रयत्न करना, जाति के नाम पर हिन्दू समाज को तोड़ने के किसी भी व्यवहार को हमको सहन नहीं करना है, उसे रोकने का सकारात्मक प्रयत्न हमें करना चाहिए. स्वदेशी जीवन शैली को आग्रहपूर्वक अपनाना चाहिए. नागरिक कर्तव्य का बोध कराते हुए पूरे भारत को एक श्रेष्ठ समाज बनाने का प्रयत्न करना ही भारत को परम वैभव पर पहुंचने का प्रयत्न है. देश की, समाज की रक्षा के लिए एक-एक नौजवान को खड़ा रहना पड़ेगा. भारत की एकता, एकात्मता, संस्कार, संस्कृति, सुरक्षा और सेवा को आग्रहपूर्वक अपने जीवन का अंग बनाकर प्रतिदिन की साधना करें.

भारत के लिए मेरा कर्तव्य क्या है? मेरे परिवार का कर्तव्य क्या है? इसको समझकर आगे बढें. हम संगठित होकर सफलता और सार्थकता का जीवन जीने के लिए संकल्पबद्ध हों, उस संकल्प को जीवन की अंतिम साँस तक निभाने के लिए शपथ लें, जीवन को अच्छा बनाएं, भारत को उच्च बनाएं और सारी मानवता को सर्वोच्च बनाने की दिशा में हम आगे बढें.

कार्यक्रम में मंच पर क्षेत्र संघचालक जयंतीभाई भाड़ेसिया, गुजरात प्रांत संघचालक भरत भाई पटेल और महानगर संघचालक उपस्थित रहे.

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