Deprecated: Return type of Wslm_ProductLicense::offsetExists($offset) should either be compatible with ArrayAccess::offsetExists(mixed $offset): bool, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/license-manager/ProductLicense.php on line 97

Deprecated: Return type of Wslm_ProductLicense::offsetGet($offset) should either be compatible with ArrayAccess::offsetGet(mixed $offset): mixed, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/license-manager/ProductLicense.php on line 101

Deprecated: Return type of Wslm_ProductLicense::offsetSet($offset, $value) should either be compatible with ArrayAccess::offsetSet(mixed $offset, mixed $value): void, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/license-manager/ProductLicense.php on line 105

Deprecated: Return type of Wslm_ProductLicense::offsetUnset($offset) should either be compatible with ArrayAccess::offsetUnset(mixed $offset): void, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/license-manager/ProductLicense.php on line 109

Deprecated: Return type of ameMetaBoxSettings::offsetExists($offset) should either be compatible with ArrayAccess::offsetExists(mixed $offset): bool, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/extras/modules/metaboxes/ameMetaBoxSettings.php on line 88

Deprecated: Return type of ameMetaBoxSettings::offsetGet($offset) should either be compatible with ArrayAccess::offsetGet(mixed $offset): mixed, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/extras/modules/metaboxes/ameMetaBoxSettings.php on line 102

Deprecated: Return type of ameMetaBoxSettings::offsetSet($offset, $value) should either be compatible with ArrayAccess::offsetSet(mixed $offset, mixed $value): void, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/extras/modules/metaboxes/ameMetaBoxSettings.php on line 119

Deprecated: Return type of ameMetaBoxSettings::offsetUnset($offset) should either be compatible with ArrayAccess::offsetUnset(mixed $offset): void, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/extras/modules/metaboxes/ameMetaBoxSettings.php on line 133
मार्च 2024 की तुलना में शाखाओं की संख्या में 10 हजार की वृद्धि - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

मार्च 2024 की तुलना में शाखाओं की संख्या में 10 हजार की वृद्धि

गठनात्मक विस्तार, सामाजिक प्रभाव, सद्भाव और एकता पर होगा चिंतन

देशभर में आयोजित प्रारंभिक वर्गों में 2,22,962 स्वयंसेवकों की सहभागिता

बेंगलुरु, २१ मार्च २०२५। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का उद्घाटन सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने जनसेवा विद्या केंद्र, चन्नेनहल्ली में भारत माता के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित करते हुए किया।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के उद्घाटन दिवस पर सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बैठक में देशभर से 1482 कार्यकर्ता उपस्थित हैं।

हर वर्ष अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक देश और समाज की प्रमुख हस्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ शुरू होती है। प्रतिनिधि सभा ने हाल ही में दिवंगत हुए दिग्गजों, स्वामी प्रणवानंद तीर्थपादर, पूज्य सियाराम बाबा, पूज्य संत सुग्रीवानंद जी महाराज, शिरीष महाराज मोरे, डॉ. मनमोहन सिंह, उस्ताद जाकिर हुसैन,डॉ. राजगोपाल चिदंबरम, विवेक देबरॉय, एम. टी. वासुदेवन नायर, श्याम बेनेगल, प्रीतीश नंदी, एस. एम. कृष्णा,महाराणा महेंद्र सिंह, कामेश्वर चौपाल, वन विश्वकोश के रूप में विख्यात श्रीमती तुलसी गौड़ा, प्रसिद्ध कन्नड़ लेखक एन डिसूजा, लोकप्रिय अभिनेता सरिगमा विजी, प्रख्यात शिक्षाविद् दोरेस्वामी नायडू, दक्षिण मध्य क्षेत्र के पूर्व क्षेत्र संघचालक पर्वतराव, विश्व विभाग के पूर्व संयोजक शंकरराव तत्ववादी, दीनानाथ बत्रा, डॉ. गोविंद नारेगल, विहिप पदाधिकारी बी. एन. मूर्ति, पूर्व केंद्रीय मंत्री देबेंद्र प्रधान सहित अन्य को श्रद्धांजलि अर्पित की।

उन्होंने कहा कि अधिकांश समय संघ के कार्यों का विश्लेषण और योजना बनाने में व्यतीत होगा। संघ स्थापना का यह 100 वां वर्ष है। प्रतिनिधि सभा में संघ कार्य से सामाजिक प्रभाव और समाज में बदलाव लाने पर चर्चा, विचार-विमर्श होगा।

उन्होंने बताया कि, 51,570 स्थानों पर प्रतिदिन कुल 83,129 शाखाएं संचालित की जाती हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10,000 से अधिक हैं, गत वर्ष यह संख्या 73,646 थी। साप्ताहिक मिलन में पिछले वर्ष की तुलना में 4,430 की वृद्धि हुई है, जहां शाखाओं और मिलन की कुल संख्या 1,15,276 है।

सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार –

  • कुल स्थान: 51,570
  • कुल शाखा (दैनिक): 83,129
  • कुल मिलन (साप्ताहिक): 32,147
  • कुल मंडली (मासिक): 12,091
  • कुल शाखा+मिलन+मंडली: 1,27,367

सह सरकार्यवाह ने कहा कि संघ अपने शताब्दी वर्ष के दौरान कार्य के विस्तार की दिशा में काम कर रहा है, उसमें ग्रामीण मंडलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। संघ ने संगठनात्मक योजना के तहत देश को 58,981 ग्रामीण मंडलों में विभाजित किया है, जिनमें से 30,717 मंडलों में दैनिक शाखाएँ और 9,200 मंडलों में साप्ताहिक मिलन चल रहे हैं।

संघ शताब्दी विस्तारक

उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष सरसंघचालक जी ने कार्यकर्ताओं से संघ कार्य विस्तार और सुदृढ़ीकरण के लिए दो वर्ष का समय देने का आह्वान किया था, जिस पर 2,453 स्वयंसेवकों ने संघ कार्य के विस्तार और सुदृढ़ीकरण के लिए स्वयं को समर्पित किया। एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह कि संघ कार्य में युवाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। हर वर्ष लाखों युवा, विशेषकर 14-25 आयु वर्ग के संघ से जुड़ रहे हैं। देश भर में कुल 4,415 प्रारंभिक वर्ग आयोजित किए गए। इन वर्गों में 2,22,962 स्वयंसेवक शामिल हुए, जिनमें से 1,63,000 स्वयंसेवक 14-25 आयु वर्ग और 20,000 से अधिक स्वयंसेवक 40 वर्ष से अधिक आयु के थे।

उन्होंने बताया कि संघ वेबसाइट (www.rss.org) पर ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से साल 2012 से अब तक 12,72,453 से अधिक लोगों ने संघ से जुड़ने में रुचि दिखाई है, जिनमें से 46,000 से अधिक महिलाएं हैं। ऐसी हजारों महिला कार्यकर्ता विभिन्न क्षेत्रों में संघ की विभिन्न गतिविधियों में कार्य कर रही हैं। वेबसाइट के माध्यम से रुचि दिखाने वालों में से कई अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और भारत के बाहर से भी हैं।

सह सरकार्यवाह ने सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी द्वारा प्रस्तुत वार्षिक प्रतिवेदन की मुख्य विषयों को लेकर बताया कि सरसंघचालक जी ने अपने प्रवास के दौरान देश में प्रमुख लोगों से मुलाकात की। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश का भी दौरा किया, जहां डोनी-पोलो मंदिर के दर्शन किए। शहीद अब्दुल हमीद के पैतृक गांव का दौरा किया और उनकी जीवनी का विमोचन किया।

सरसंघचालक और सरकार्यवाह ने मुंबई में इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, बीएपीएस, भारत सेवाश्रम, चिन्मय मिशन जैसे वैश्विक विस्तार वाले हिन्दू और आध्यात्मिक संगठनों के प्रमुखों और शीर्ष पदाधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि धार्मिक संगठनों के साथ ऐसी बैठकें हर 2 साल में एक बार होती हैं और यह 5वीं बैठक थी। सरकार्यवाह ने कन्याकुमारी में सेवा भारती कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें स्वयं सहायता समूह की 60,000 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया।

उन्होंने बताया कि देशभर में कुल 89,706 सेवा गतिविधियां चल रही हैं, जिनमें से 40,920 शिक्षा के क्षेत्र में, 17461 चिकित्सा सेवा से संबंधित, 10,779 स्वावलंबन के क्षेत्र में तथा 20,546 सामाजिक जागरण से संबंधित गतिविधियां हैं। ग्राम विकास तथा गौ संरक्षण जैसे ग्रामीण विकास के लिए विशेष पहल की जा रही है। सामाजिक समरसता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, स्वयंसेवकों ने उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है, जहां कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के कारण बहुत बदलाव की आवश्यकता है। 1084 स्थानों पर हमारे स्वयंसेवकों ने मंदिरों में प्रवेश पर प्रतिबंध तथा एक ही स्रोत से पीने का पानी लेने पर रोक जैसी गलत सामाजिक प्रथाओं को समाप्त करने का प्रयास किया है। 260 से अधिक स्थानों पर स्वयंसेवकों ने सफाई कर्मचारियों को भोजन, स्वच्छता, चिकित्सा जांच, काम में मदद करने वाले उपकरण आदि उपलब्ध कराकर सहायता की है।

प्रतिवेदन में राष्ट्रीय परिदृश्य का विश्लेषण

सरकार्यवाह जी द्वारा राष्ट्रीय परिदृश्य के विश्लेषण में प्रयागराज महाकुम्भ भी शामिल है। महाकुम्भ ने पूरे देश के सांस्कृतिक गौरव और आत्मविश्वास को बढ़ाया। महाकुम्भ ने भारत की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक विरासत के अद्भुत दर्शन कराए और साथ ही समाज की आंतरिक श्रेष्ठता का बोध कराया। महाकुम्भ के लिए समुचित और सुचारू आधारभूत संरचना और प्रबंधन व्यवस्था बनाने और चलाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार बधाई की पात्र है। महाकुम्भ के दौरान संघ से प्रेरित अनेक संस्थाओं और संगठनों ने विभिन्न प्रकार के सेवा, धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और वैचारिक आयोजन किए।

सक्षम द्वारा आयोजित नेत्र कुम्भ में महाकुम्भ में आने वाले लोगों के लिए निशुल्क नेत्र परीक्षण, चश्मे का वितरण तथा आवश्यकता पड़ने पर मोतियाबिंद की सर्जरी की व्यवस्था की गई। निःशुल्क नेत्र परीक्षण से 2,37,964 लोगों ने लाभ उठाया, जबकि 1,63,652 लोगों को निःशुल्क चश्में तथा 17,069 लोगों ने निःशुल्क मोतियाबिंद की सर्जरी करवाई। 53 दिनों तक चले सेवा कार्य में 300 से अधिक नेत्र विशेषज्ञों तथा 2800 कार्यकर्ताओं ने काम किया।

पर्यावरण संरक्षण गतिविधि ने कुम्भ को थर्मोकोल प्लेट या पॉलीथिन बैग मुक्त बनाने के लिए अनेक संगठनों के सहयोग से “एक थाली-एक थैला अभियान” चलाया। अभियान के तहत देशभर में स्टील प्लेट तथा कपड़े के थैलों का बड़ी संख्या में संग्रह किया गया। कार्यकर्ताओं ने 2241 संस्थाओं के सहयोग से 7258 केंद्रों पर कुल 14,17,064 प्लेटें और 13,46,128 थैले एकत्रित किए, जिन्हें कुम्भ के विभिन्न पंडालों में वितरित किया गया। यह अभियान अपने आप में एक अनूठा प्रयोग था और पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने तथा स्वच्छ कुम्भ के विचार को जन-जन तक पहुँचाने में सफल रहा।

लोकमाता अहिल्यादेवी होलकर की 300वीं जयंती पर कहा कि लोकमाता आदर्श प्रशासन, न्यायिक सुधार, धार्मिक आस्था, लोगों के प्रति मातृवत स्नेह और बेदाग चरित्र जैसी विशेषताओं की प्रतिमूर्ति थीं। 300वीं जयंती के निमित्त देश में कई स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। कई सामाजिक और शैक्षणिक संस्थाओं ने विभिन्न प्रकार के आयोजनों के माध्यम से लोकमाता के प्रेरक व्यक्तित्व को समाज के सामने लाने का सफल प्रयास किया।

प्रतिवेदन में मणिपुर की स्थिति पर कहा गया कि राज्य पिछले 20 महीनों से अशांत स्थिति से गुजर रहा है। वहां दो समुदायों के बीच व्यापक हिंसा की घटनाओं के कारण आपसी अविश्वास और दुश्मनी पैदा हुई है। लोगों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, राष्ट्रपति शासन लगाने सहित राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर केंद्र सरकार के निर्णयों से स्थिति में सुधार की उम्मीद जगी है। लेकिन, सौहार्द और विश्वास का स्वाभाविक माहौल बनने में काफी समय लगेगा।

मणिपुर में शांति लाने के लिए संघ के प्रयासों पर पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए मुकुंदा जी ने कहा कि संघ का प्रयास मैतेई और कुकी जनजाति समूहों के नेतृत्व और लोगों को एक साथ लाना और उन्हें चर्चा करने और आम सहमति पर पहुंचने के लिए प्रोत्साहित करना है। दोनों समुदायों के कई नेता हमारे संपर्क में हैं और सद्भाव लाने के लिए इंफाल, गुवाहाटी और दिल्ली में बैठकें हुई हैं। समस्या के अन्य पक्ष भी हैं, लेकिन संघ लोगों को जोड़ने का प्रयास कर रहा है। इसके अलावा, अपने ही घरों से निकाले गए लोगों के लिए संघ के स्वयंसेवकों द्वारा राहत शिविर चलाए जा रहे हैं, जहां भोजन, आश्रय और आवश्यक चीजें उपलब्ध कराई गई हैं।

उत्तर-दक्षिण विभाजन के प्रश्न के संबंध में कहा कि अधिकांश मुद्दे राजनीति से प्रेरित हैं। परिसीमन के बारे में गृहमंत्री ने स्वयं कहा है कि यह अनुपात के आधार पर किया जाएगा, यानी दक्षिणी राज्यों में वर्तमान में लोकसभा सीटों के अनुपात के आधार पर होगा। इसलिए, इस पर कहने के लिए कुछ विशेष नहीं है। हालांकि, संघ का मानना है कि रुपये के चिह्न को हटाने और भाषा के मुद्दों को उठाने जैसे राजनीति से प्रेरित मुद्दों को केवल राजनीतिक नेताओं द्वारा नहीं, बल्कि सामाजिक नेतृत्व को हल करना चाहिए। संघ न्याय के लिए खड़ा है और मानता है कि सभी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल किया जा सकता है।

संघ  शताब्दी

आरएसएस@100 की स्थिति और 1925 से स्वयंसेवकों की संख्या को लेकर पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि आज देश में एक करोड़ से अधिक स्वयंसेवक हैं। स्वयंसेवक सेवा, ट्रेड यूनियन, किसान आदि विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं। संघ से जुड़ने वाले अधिकांश लोग 12-14 और 15-20 वर्ष की आयु वर्ग के हैं। हालांकि कई लोग 40 की उम्र के बाद भी संघ से जुड़ते हैं, लेकिन अधिकांश बच्चे ही इसमें शामिल होते हैं। संगठन से जुड़ने वाले नए स्वयंसेवकों की संख्या में वृद्धि हुई है। तमिलनाडु में, जहां हम पीछे थे, अब नए कार्यकर्ता जुड़ रहे हैं और शाखाओं की संख्या 4000 को पार कर गई है। बिहार और ओडिशा में भी, जहां पहले हमारी उपस्थिति सीमित थी, नए स्वयंसेवकों की संख्या में वृद्धि हो रही है। यह ध्यान रखना चाहिए कि देश के किसी भी हिस्से में संघ कार्य के विस्तार का कोई विरोध नहीं है और अगर कुछ हिस्सों में विरोध हो भी रहा है, तो वह धार्मिक कारणों से नहीं बल्कि राजनीतिक कारणों से है।

मातृभाषा

भाषा से संबंधित प्रश्न पर सह सरकार्यवाह ने कहा कि संघ का मानना है कि मातृभाषा का उपयोग न केवल शिक्षा में, बल्कि हमारे दैनिक जीवन में किया जाना चाहिए। संघ ने मातृभाषा पर एक प्रस्ताव पारित किया है। अगर कोई व्यक्ति कई भाषाएँ सीखता है तो यह लाभदायक होता है।

सरसंघचालक जी ने औपचारिक और अनौपचारिक बैठकों में यह संदेश दिया है कि हमें अपने दैनिक जीवन में मातृभाषा का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा है कि लोगों को अन्य क्षेत्रों की भाषाएं भी सीखनी चाहिए।

बांग्लादेश में हिन्दुओं की दुर्दशा पर प्रस्ताव के प्रश्न पर कहा कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में  प्रस्ताव पर चर्चा होगी और इसे मीडिया के साथ साझा किया जाएगा।

अब्दुल हमीद

Leave a Reply