ओडिशा: भुवनेश्वर में उत्साह और अनुशासन के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भव्य शताब्दी वर्ष स्वागत संचलन आयोजित

ओडिशा: भुवनेश्वर में उत्साह और अनुशासन के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भव्य शताब्दी वर्ष स्वागत संचलन आयोजित

भुवनेश्वर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष की शुरुआत के उपलक्ष्य में भुवनेश्वर महानगर में भव्य शताब्दी वर्ष स्वागत संचलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर तीन हजार से अधिक स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में शामिल हुए। अनुशासन, एकता और देशभक्ति की अद्भुत झलक इस संचलन में देखने को मिली।
चार प्रमुख स्थानों शहीद नगर दुर्गा मंडप, खारवेल नगर, यूनिट-3 नया सरस्वती शिशु मंदिर और यूनिट-3 पुराना सरस्वती शिशु मंदिर से संचलन एक साथ आरंभ हुआ। चारों मार्गों से चल रहे स्वयंसेवक अंततः राम मंदिर चौक पर एकत्र हुए, जहाँ उनका समन्वित और अनुशासित कदमताल मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहा था।
घोष वाद्य की गूंज से वातावरण देशभक्ति से ओत-प्रोत हो उठा। स्वयंसेवक ढोल, शंख और अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्रों की ताल पर कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ते रहे। यह दृश्य न केवल उत्साहवर्धक था बल्कि संघ के अनुशासन, साहस और समर्पण की भावना को भी प्रकट कर रहा था।
पहला संचलन शहीद नगर दुर्गा मंडप से आरंभ होकर सत्य नगर चौक होते हुए राम मंदिर चौक पहुँचा। दूसरा संचलन खादी बोर्ड के सामने से शुरू होकर श्रीया टॉकीज चौक, प्रेस कॉलोनी स्कूल और दृष्टिहीन कार्यालय से होकर सत्य नगर चौक पहुँचा। तीसरा संचलन यूनिट-3 के नया सरस्वती शिशु मंदिर के पास से निकलकर केशरी टॉकीज रोड और प्रदर्शनी मैदान मार्ग से राम मंदिर चौक तक पहुँचा। चौथा संचलन यूनिट-3 के पुराने सरस्वती शिशु मंदिर के पास से आरंभ होकर श्रीया टॉकीज चौक होते हुए राम मंदिर चौक पहुँचा।
राम मंदिर चौक पर सभी चारों दल एकत्र हुए और वहाँ से मास्टर कैंटीन होते हुए लॉयर पीएमजी चौक तक सामूहिक रूप से आगे बढ़े। इसी स्थान पर संचलन का शांतिपूर्ण समापन हुआ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पथ संचलनों की एक विशेषता उसका घोष वाद्य होता है, जो इस अवसर पर भी आकर्षण का केंद्र रहा। दिसंबर 1926 में संघ का पहला पथ संचलन हुआ था, तब उसमें केवल दो वाद्य यंत्र एक शंख और एक आनक (परंपरागत नगाड़ा) शामिल थे। पिछले सौ वर्षों में संघ के साथ-साथ उसका घोष भी निरंतर विकसित हुआ है। संघ में घोष केवल संगीत या मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है, जो स्वयंसेवकों में अनुशासन, एकाग्रता और राष्ट्रभक्ति की भावना का विकास करती है। घोष की ताल पर जब स्वयंसेवक एक साथ कदम मिलाते हैं, तो उनके हृदय और विचार भी एक हो जाते हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ओडिशा (पूर्व) प्रांत के सह प्रांत प्रचारक असित कुमार साहू ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत एक सौ वर्षों से हिन्दू समाज को संगठित करने का कार्य निरंतर करता आ रहा है। संघ के संस्थापक डा हेडगेवार ने हिन्दू समाज को संगठित करने के लिए एक अनोखी शाखा पद्धति विकसित की थी और इसी शाखा पद्धति से संघ का कार्य चल रहा है । संघ की शाखाओं में मातृभूमि के प्रति प्रेम व समर्पण की भावना को विकसित किया जाता है तथा चरित्र निर्माण किया जाता है । शताब्दी वर्ष के दौरान पूरे देश में संघ द्वारा अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा ।
कार्यक्रम में ओडिशा (पूर्व) प्रांत संघचालक समीर महांति, भुवनेश्वर महानगर संघचालक श्रीनिवास मानसिंह, तथा अनेक गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया। संपूर्ण आयोजन का संयोजन महानगर कार्यवाह क्षीरोद बिहारी ने किया।
भुवनेश्वर में यह भव्य संचलन संघ की सौ वर्ष की अनुशासन, सेवा और राष्ट्रीय एकता की यात्रा का प्रतीक बनकर उभरा।

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