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स्व’भाषा, ‘स्व’देश व ‘स्व’धर्म के लिए कार्य करना होगा - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

स्व’भाषा, ‘स्व’देश व ‘स्व’धर्म के लिए कार्य करना होगा

उदयपुर. 28 सितंबर से 2 अक्तूबर तक होने वाले पांच दिवसीय शेखावाटी साहित्य संगम के उद्घाटन सत्र में शिक्षाविद अरविंद महला, सीनियर जर्नलिस्ट अर्चना शर्मा एवं लेखिका अंशु हर्ष ने दर्शकों व पाठकों को संबोधित किया.

उद्घाटन सत्र में शेखावाटी साहित्य संगम की इस वर्ष की थीम ‘स्व आधारित भारत का नवोत्थान’ को अरविंद महला ने स्पष्ट करते हुए कहा कि हर राष्ट्र का एक चरित्र होता है. शिक्षा में स्व को स्पष्ट करते हुए कहा “भारत में सशुल्क शिक्षा का ढांचा नहीं था. अंग्रेजों ने अपने शोध में पाया कि भारत की संस्कृति में सामाजिक विभेद है ही नहीं. यहां कोई वंचित वर्ग नहीं है. और इसी कारण अंग्रेजों ने विभेद की नीति के चलते  विराष्ट्रीयकरण, विसामाजीकरण व विहिन्दूकरण करने के लिए शिक्षा पद्धति को पूर्ण रूप से बदल दिया जो भारतीय संस्कृति के विपरीत थी. साँस्कृतिक भारत में विभेद के लिए जातिगत जनगणना आयोजित की गई.

अरविंद मेहला ने कहा कि हमारा योग, विज्ञान अध्ययन आज पूरे विश्व को प्रेरणा दे रहा है. भारत को परम वैभव पर पहुंचाने के लिए ‘स्व’भाषा, ‘स्व’देश व ‘स्व’धर्म पर कार्य करना होगा.

सीनियर जर्नलिस्ट अर्चना शर्मा ने कहा कि विदेशों में भारत की छवि बदल रही है. ऑस्ट्रेलिया प्रवास का एक संस्मरण याद करते हुए बताया कि आज विदेशों के लोग भी कह रहे हैं कि यह भारतवासियों के भारत में रहने के लिए सर्वोत्तम समय है. भारत अपने स्व को पुनः प्राप्त करे, इसके लिए आवश्यक है कि भारत का मीडिया स्व’तंत्र ‘ की स्थापना में सहयोग के लिए नए तरीकों से सोचे.

साहित्य व फिल्म क्षेत्र में स्व आधारित नवोत्थान की बात करते हुए लेखिका अंशु हर्ष ने कहा कि भारत में कई फ़िल्में बनीं हैं जो स्व का बोध कराती हैं. साहित्य प्रभु का एक अनुपम उपहार है और जब एक कला दूसरी कला से मिलती है तो वह विस्तार पाती है. इसी विस्तार से हमें स्व को प्राप्त करना है,

इसके बाद समाजसेवी प्रो. महावीर कुमार ने कहा कि भारत हमेशा से उद्योग प्रधान देश रहा है. परंतु कृषि प्रधान होने का नैरेटिव गढ़ा गया. हमारे स्व पर शिक्षा, संस्कृत आदि पर प्रहार के कारण से स्व का जो लोप हुआ, उसे पुनः प्राप्त करना है.

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