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हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग को लेकर विहिप का प्रदर्शन - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग को लेकर विहिप का प्रदर्शन

संबलपुर, ओडिशा.

विश्व हिन्दू परिषद ओडिशा पश्चिम प्रांत ने संबलपुर में संतों के मार्गदर्शन में मठों, मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. कार्यक्रम में पश्चिम ओडिशा के कार्यकर्ता उपस्थित रहे. विरोध प्रदर्शन के बाद, विहिप के प्रतिनिधिमंडल ने जिला मजिस्ट्रेट से मुलाकात की और मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा.

विश्व हिन्दू परिषद केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य स्वामी जीवनमुक्तानंद जी महाराज ने तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में गोमांस, सुअर और मछली की चर्बी का इस्तेमाल किए जाने की खबरों पर हृदय विदारक बताया. इसे “असहनीय और घृणित कृत्य” करार दिया और कहा कि रिपोर्ट से पूरा हिन्दू समाज व्यथित और आहत है. स्वामी जीवनमुक्तानंद जी महाराज ने हिन्दू भक्तों से प्राप्त दान के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि न केवल प्रसाद तैयार करने में, बल्कि मंदिर की संपत्तियों और आय के प्रबंधन में भी दुरुपयोग हो रहा है.

जीवनमुक्तानंद जी ने कहा कि इस तरह के मुद्दे इसलिए सामने आते हैं क्योंकि हिन्दू मंदिर और अन्य धार्मिक संस्थान हिन्दू समाज द्वारा संचालित नहीं होते, बल्कि सरकारी नियंत्रण में होते हैं. विहिप लंबे समय से मांग कर रही है कि हिन्दुओं के मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल सरकारी नियंत्रण में न रहें. हम अपनी मांग दोहराते हैं कि सभी मंदिरों और अन्य पूजा स्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाना चाहिए. सभी मंदिरों और हिन्दू धार्मिक स्थलों का प्रबंधन और नियंत्रण हिन्दू समाज को सौंप देना चाहिए.

विहिप के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजकुमार बड़पंडा ने कहा कि हमारे देश में अक्सर कहा जाता है कि संविधान सर्वोच्च है, लेकिन दुर्भाग्य से विभिन्न सरकारों ने हिन्दू समाज के मुख्य मंदिर पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है. सरकारों का काम संविधान की रक्षा करना है, लेकिन वे अक्सर इसकी भावना को कमजोर कर रही हैं. संविधान के अनुच्छेद 12, 25 और 26 का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं. आजादी के 77 साल बाद भी हिन्दुओं को अपने मंदिरों का प्रबंधन करने की अनुमति नहीं है. जबकि, अल्पसंख्यकों को अपने धार्मिक संस्थान चलाने की अनुमति है, लेकिन ये संवैधानिक अधिकार हिन्दुओं को क्यों नहीं दिए गए?

आजादी के 77 साल बाद भी भारत में विभिन्न सरकारें उसी औपनिवेशिक मानसिकता के साथ काम कर रही हैं, तथा हिन्दू मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेकर उन्हें लूट रही हैं.

विहिप ने जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया…. “तिरुपति बालाजी और अन्य स्थानों पर अनियमितताओं के कारण, हिन्दू समुदाय अब यह मानता है कि जब तक अपने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त नहीं कर पाते, तब तक इन मंदिरों की पवित्रता बहाल नहीं हो सकती. हमारा दृढ़ विश्वास है कि हिन्दू मंदिरों की संपत्ति और आय का उपयोग केवल उनके विकास और हिन्दुओं की धार्मिक गतिविधियों के लिए किया जाना चाहिए. वास्तविकता यह है कि मंदिरों की आय और संपत्ति का दुरुपयोग न केवल अधिकारियों और राजनेताओं द्वारा किया जा रहा है, बल्कि कई बार उनके पसंदीदा हिन्दू विरोधियों द्वारा भी किया जा रहा है”.

“राज्य सरकार से आग्रह है कि वह जल्द से जल्द सभी हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराए और उन्हें हिन्दू समाज को वापस करे. पूज्य संतों द्वारा व्यापक अध्ययन और चर्चा के बाद एक प्रणाली स्थापित की गई थी, और इसे कई स्थानों पर सफलतापूर्वक लागू किया गया है. हम अनुरोध करते हैं कि आपकी सरकार जल्द से जल्द उचित निर्णय ले”.

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