नई दिल्ली. भारतीय छात्र करण कटारिया के साथ लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भेदभाव, दुर्भावनापूर्ण व्यवहार तथा भारतीय पहचान के कारण प्रताड़ित किए जाने की घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने घटना की कठोर निंदा की है.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कहा कि वह युवाओं के साथ सम्मानपूर्ण, गरिमामय, लोकतांत्रिक तथा मानवीय मूल्यों के अनुरूप व्यवहार किए जाने की पक्षधर है. परिषद शैक्षणिक परिसरों में लोकतांत्रिक मूल्यों तथा विविधता के सम्मान की पक्षधर है.
भारत ने लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप विविधतापूर्ण समाज तथा संस्कृति को सभी क्षेत्रों में समान अवसर तथा प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर समूचे विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है. अभाविप का स्पष्ट मत है कि छात्र-छात्राओं को शैक्षणिक संस्थानों में महत्वपूर्ण हितधारक मानते हुए उनके मतों को गंभीरता से लेकर उचित समावेशन होना चाहिए. किसी भी शैक्षणिक संस्थान में विविधता व सभी मतों को सम्मान तथा लोकतांत्रिक व मानवीय सरोकारों के अनुरूप गतिविधियां संचालित होनी चाहिए.
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि, “लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भारतीय छात्र के साथ उनकी राष्ट्रीयता तथा वैचारिकी के लिए दुर्भावनापूर्ण व्यवहार तथा प्रताड़ित किया जाना निंदनीय है. शैक्षणिक संस्थानों में छात्र-छात्राओं का स्थान महत्वपूर्ण हितधारक का है. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स जैसे शैक्षणिक संस्थान को किसी भी छात्र के साथ उसकी वैचारिकी, पसंद-नापसंद या राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव न हो, यह सुनिश्चित करना चाहिए तथा परिसर में लोकतांत्रिक मूल्यों व विविधता के सम्मान के लिए मजबूती से खड़ा होना चाहिए. भारतीय छात्र समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण प्रतिनिधि के रूप अभाविप, वैश्विक छात्र समुदाय से करण कटारिया के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप व्यवहार किए जाने के पक्ष में खड़े होने का आह्वान करती है.”
‘हिन्दू होने के कारण बनाया निशाना’
हरियाणा के निवासी करण कटारिया लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कानून की परास्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्हें लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में छात्र संघ चुनाव में अयोग्य ठहरा दिया गया था.
करण कटारिया ने बताया कि भारतीय और हिन्दू होने के कारण उनके खिलाफ साजिश रची गई, उसे देखकर उन्हें दुख हुआ. त्र संघ चुनाव के दौरान हर देश के छात्रों ने उनका समर्थन किया, लेकिन इस्लामोफोबिक, और हिन्दू होने के आरोप लगाकर मुझे अयोग्य घोषित कर दिया गया. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मेरी छवि को बदनाम करने की कोशिश करने वाले लोगों की पहचान कर उन्हें दंडित करने की बजाय मेरा पक्ष जाने बिना मुझे अयोग्य करार दे दिया.