Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/includes/menu-editor-core.php on line 3424
सेवा, साधना और ग्राम हमारे धर्म की अभिव्यक्ति – दत्तात्रेय होसबाले जी - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

सेवा, साधना और ग्राम हमारे धर्म की अभिव्यक्ति – दत्तात्रेय होसबाले जी

बिना छल के पूरे विश्व में अपनी संस्कृति का परचम लहरा रहा है भारत – स्वामी अवधेशानंद गिरि जी

पानीपत. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि सेवा, साधना और ग्राम हमारे धर्म की अभिव्यक्ति है. इसी के आधार पर भारत के परमवैभव को स्थापित किया जा सकता है. आज पूरा विश्व भारत की ओर अपेक्षा भरी दृष्टि से देख रहा है. राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ ज्ञान, बल और शक्ति को आधार बनाकर पूरी मानवता के विकास के लिए कटिबद्ध है.

सरकार्यवाह जी शनिवार को पानीपत के पट्टीकल्याणा में श्री माधव जनसेवा न्यास द्वारा नवनिर्मित सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र के लोकार्पण समारोह में सम्बोधित कर रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने की. कार्यक्रम का शुभारंभ हवन एवं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया गया. हवन में यज्ञमान के रूप में श्री माधव जन सेवा न्यास के अध्यक्ष एवं प्रांत संघचालक पवन जिंदल मुख्य रूप से उपस्थित रहे. यह केंद्र आस-पास के 100 गांवों को गोद लेगा और इसमें आत्मनिर्भर ग्राम विकास की परिकल्पना पर काम होगा. यहां कौशल विकास केंद्र भी स्थापित किया जाएगा. इसके लिए श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के साथ एम.ओ.यू. किया गया है.

सरकार्यवाह जी ने कहा कि सेवा, साधना एवं ग्राम विकास केंद्र के निर्माण में एक लाख परिवार जुड़े हैं और इसके माध्यम से लाखों परिवारों के उत्थान की परिकल्पना तैयार की गई है. यह प्रकल्प समाज का है, समाज से है और समाज के लिए है. इसे आज समस्त मानवता के लिए समर्पित किया गया है. प्रत्येक स्वयंसेवक प्रकल्प के पीछे की शक्ति है और इसमें पूरे समाज की ऊर्जा लगी है. इसलिए हम समस्त समाज के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं. समाज में बहुत से लोग सेवा करना चाहते हैं, लेकिन उसके लिए स्थान होना चाहिए. इसलिए पूरे देश व विदेशों में ऐसे प्रकल्पों की आवश्यकता है.

दत्तात्रेय होसबाले जी ने सेवा, साधना एवं ग्राम विकास केंद्र को एक त्रिवेणी की संज्ञा देते हुए कहा कि इसके माध्यम से सेवा भी होगी, साधना भी होगी और ग्राम का विकास भी होगा. यहां कृषि से लेकर अन्य विविध आयामों पर कार्य होंगे. ताकि ग्राम्य परिवेश के लोगों को कुशल बनाकर रोजगार के साथ जोड़ा जा सके. यह प्रकल्प रोजगार और स्वावलंबन पैदा करेगा. हम एक भूमि, एक परिवार और एक भविष्य की अवधारणा को अपनी धर्म और संस्कृति का मूल मानते हैं. इसी विचार के साथ सेवा, साधना एवं ग्राम विकास केंद्र कार्य करेगा. इस केंद्र में निर्धन छात्रों के लिए छात्रावास भी चलाए जाएंगे.

सेवा हमारे संस्कार, आचार और विचार में है. श्रीलंका, युक्रेन, सीरिया और तुर्की में हिन्दू स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने बहुत सेवा की है. समस्याओं को परास्त कर विजय प्राप्त करना ही संघ का उद्देश्य है. इसीलिए हमारे वेद भी ज्ञान, बल और शक्ति की बात करते हैं.

लोकार्पण समारोह में अध्यक्ष आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि हमारी संवेदनाओं के मूल में परमार्थ है. लोक कल्याण की भावना है और सबके उत्थान की कामना है. सेवा, साधना एवं ग्राम विकास केंद्र इसी भाव को समर्पित है. संघ का मूल मंत्र एकत्व है. मैं भारत का ज्येष्ठ आचार्य हूं, लेकिन सबसे पहले स्वयंसेवक हूं. हिन्दू धर्म सबको अपना मानता है, सभी रूपों में एक ही सत्ता है. उन्होंने कहा कि पूरा विश्व हमारी ओर आशा की नजर से देख रहा है. पूरी दुनिया को भारत की आवश्यकता है. कोरोना काल में भारत ने स्वयं को सिद्ध किया है. योग और आयुर्वेद को पूरा संसार मान रहा है. बिना छल पूरे विश्व में अपनी संस्कृति का परचम लहराने वाला सिर्फ भारत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में आशावाद व सकारात्मकता जागी है. स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि चार दशक पहले जब मैं पहली बार विदेश गया तो प्रतिष्ठित मीडिया के पत्रकार ने पूछा कि भारत और पश्चिम में क्या अंतर है. मैंने कहा कि पश्चिम की दृष्टि में पूरा विश्व एक बाजार है और भारत की दृष्टि में विश्व एक परिवार है. पश्चिम हानि, लाभ और उत्पाद को देखता है और हम कुटुम्ब और प्राण की चिंता करते हैं.

उन्होंने कहा कि सेवा, साधना एवं ग्राम विकास केंद्र भारत की कालजयी संस्कृति को आगे बढ़ाएगा. यह भव्य और नूतन परिसर सेवा की एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करेगा. धरा वृक्ष विहीन होती जा रही है. हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि एक वृक्ष 100 पुत्रों के समान है. सेवा साधना केंद्र धरती की हरियाली को बचाने के साथ-साथ ग्राम विकास पर कार्य करेगा. यहां से संस्कार की बात होगी. यह अद्भुत केंद्र एक विलक्षण अनुष्ठान होगा. इस केंद्र में संस्कृति, ज्ञान, स्वरोजगार, जैविक कृषि सहित विविध आयामों पर अन्वेषण होगा.
इससे पूर्व सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र एवं श्री माधव सेवा न्यास के अध्यक्ष पवन जिंदल ने सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र के प्रारूप एवं परिकल्पना पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि सेवा साधना केंद्र के निर्माण में एक लाख से अधिक परिवार जुड़े हैं. यह प्रकल्प शिक्षा, पीने के पानी, प्राकृतिक खेती, गो संवर्धन, युवाओं को प्रशिक्षण देने का काम करेगा. यह प्रकल्प रोजगार मांगने वाले नहीं रोजगार देने वाले युवा तैयार करेगा. लोकार्पण समारोह में इस भव्य परिसर के शिलान्यास से लेकर निर्माण तक जुड़े वास्तुकार एवं शिल्पकारों व श्रमिकों मंच पर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का मंच संचालन ट्रस्ट के सचिव राकेश अग्रवाल ने किया, जबकि ट्रस्टी बलराम नंदवानी ने अतिथियों का आभार ज्ञापित किया. कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.

सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र का प्रारुप

गांव पट्टीकल्याणा में बनकर तैयार हुए सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र का शिल्यान्यास 9 जून 2018 को सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने किया था. यह केंद्र 28 एकड़ भूमि में फैला है. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप चार लाख वर्गफीट क्षेत्र में निर्मित यह केंद्र आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है. हर आयु वर्ग के लिए कम्प्युटर लैब, पुस्तकालय, जनहित के लिए चिकित्सालय, साधना के लिए पूजागृह, ध्यान साधना केंद्र व मंदिर का निर्माण किया गया है. साथ ही गोधन संवर्धन संरक्षण के लिए गौशाला बनाई गई है. इस केंद्र में एक साथ दो हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था है. इसमें 500-500 व्यक्तियों के बैठने के लिए दो नए भवन भी बनाए गए हैं. एक हजार वाहनों के खड़ा करने लिए व्यवस्थित पार्किंग का निर्माण भी किया गया है. भव्य परिसर में एक बड़ा सदन, एक थियेटर व चार छोटे सभागार बनाए गए हैं. परिसर में कृषि, बागवानी एवं पंचगव्य पर केंद्रित अत्याधुनिक रिसर्च लैब स्थापित की गई है.

Leave a Reply