Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/includes/menu-editor-core.php on line 3424
अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में ज्यादातर लोग मूल अधिकारों से वंचित थे – प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में ज्यादातर लोग मूल अधिकारों से वंचित थे – प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

फरीदाबाद. JC बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, YMCA, फरीदाबाद के डीन स्टूडेंट वेलफेयर द्वारा ‘जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र’ (JKSC) के सहयोग से ‘जम्मू कश्मीर में अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 व 35A के निरस्तीकरण के बाद हुए बदलाव’ विषय पर विशेष चर्चा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के पूर्व कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे. जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के निदेशक आशुतोष भटनागर मुख्य अतिथि रहे. सत्र की अध्यक्षता जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुशील कुमार तोमर ने की.

प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को जम्मू-कश्मीर के लोगों के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया. उन्होंने उन परिस्थितियों पर प्रकाश डाला, जिसके कारण जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा हो गया और इसके लिए उन्होंने तत्कालीन नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि भारत का विभाजन ब्रिटिश शासकों की एक रणनीतिक चाल थी और भारत छोड़ने से पहले उन्होंने सुनिश्चित किया कि अखंड भारत संभव न हो.

उन्होंने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र (UN) में भेजे जाने के फैसले और भारत एवं पाकिस्तान के बीच 1948 के संघर्ष विराम को चुनौती देते हुए कहा कि यह पता लगाने के लिए एक जांच आयोग नियुक्त किया जाना चाहिए कि यह किसके दबाव में किया गया. अगर ऐसा नहीं होता तो जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई समस्या नहीं होती और गिलगित-बाल्टिस्तान भारत में होता. गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र के सामरिक लाभ पर प्रकाश डाला जो सड़क मार्ग के माध्यम से कई देशों का प्रवेश द्वार है.

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है, जब भारत सरकार को अखंड भारत के सपने को पूरा करना चाहिए और पीओजेके अर्थात (पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर) को फिर से हासिल करना चाहिए.

अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में ज्यादातर लोग अपने मूल अधिकारों से वंचित थे. विशेषकर महिलाएं, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग और ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्हें धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बनना पड़ा. उनके साथ समान व्यवहार नहीं किया जा रहा था. लेकिन 5 अगस्त, 2019 को संसद द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, ऐसे सभी लोगों को एक बड़ी राहत मिली क्योंकि अब भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से लागू हो गया है. अब जम्मू कश्मीर के लोगों के पास भारत के सामान्य नागरिकों के समान अधिकार प्राप्त हैं. कश्मीरी और डोगरी भाषा को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आधिकारिक भाषाओं की सूची में शामिल किये जाने के बाद अब कश्मीर के लोग अपनी भाषा में पढ़ाई करने के लिए स्वतंत्र है.

अनुच्छेद 370 के खात्मे से जम्मू कश्मीर में समृद्धि आई

प्रो. एस.के. तोमर ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में समृद्धि आई है. लद्दाख में पहला विश्वविद्यालय स्थापित हुआ है. इससे क्षेत्र में शैक्षणिक क्रांति आ रही है. पहले इन इलाकों के लोग सामाजिक और राजनीतिक रूप से अलग-थलग थे और अब वे भी मुख्यधारा शामिल हो रहे हैं.

देश का सांस्कृतिक प्रवाह कश्मीर के बिना अधूरा

JKSC के निदेशक आशुतोष भटनागर ने कहा कि भारत और भारतीय की उत्पत्ति सिंधु घाटी सभ्यता से हुई है. देश का सांस्कृतिक प्रवाह कश्मीर के बिना अधूरा है. शेष भारत राजनीतिक कारणों से जम्मू-कश्मीर से दूर रहा. अनुच्छेद 370 एक असंवैधानिक प्रावधान था, जिसे अब निरस्त कर दिया गया है और जम्मू-कश्मीर में भारत का संविधान लागू हो गया है. अब हमें जम्मू-कश्मीर से दूरी खत्म करनी है. न केवल जम्मू-कश्मीर में, बल्कि नियंत्रण रेखा के पार भी हमें एलओसी के दोनों तरफ के भारत को जोड़ने की दिशा में काम करना है.

Leave a Reply