भागलपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि दुनिया के अधूरे जीवन में पूर्णता लाने का विचार भारत के पास है. सुख पाने का प्रयोग लगातार हुआ है. 2 हजार साल तक अलग-अलग प्रयोग करने के बाद भी दुनिया दुःखी है. अंततः दुनिया अब समझने लगी है कि भारतीय मनीषियों ने जिस परमसुख की बात कही, वही सत्य है. सरसंघचालक जी ने भागलपुर के प्रसिद्ध कुप्पाघाट स्थित महर्षि मेंहीं आश्रम में सद्गुरु निवास लोकार्पण समारोह में संबोधित किया.
उन्होंने कहा कि दुनिया में दो प्रकार के विचार हैं – मानवतावादी और अहंतावादी. मानवतावादी विचार मानता है कि जैसे सब प्राणी हैं, वैसे मैं भी हूं. मैं पूर्ण का एक हिस्सा हूं. वहीं अहंतावादी विचारधारा अपने अस्तित्व को सर्वोपरि मानती है. मेरे कारण ही पूर्णता है. दुनिया के लोग सुख के पीछे भागते हैं. बाद में यह दुःख का कारण बनता है. हमारे मनीषियों ने बताया कि सुख हमारे अंदर है. आत्म ज्ञान को जानने से कभी न समाप्त होने वाला सुख मिलता है. लेकिन सिर्फ इससे जीवन नहीं चलता है. इसलिए लौकिक जीवन में हमें कर्म करना पड़ता है. इसे साधने का नाम ही जीवन है. इसलिए जो व्यक्ति एकांत में साधना और लोकांत में परोपकार करता है, उसका जीवन ही सफल है.
बिहार प्रवास का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 6 वर्ष तक बिहार उनका केंद्र था. लेकिन उन्हें महर्षि में आश्रम आने का सौभाग्य नहीं मिला. पहली बार वे इस आश्रम में आए हैं और यहां की व्यवस्था और अनुगूंज से अत्यंत प्रभावित हैं. इस अवसर पर पटना जंक्शन स्थित हनुमान मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने भी अपने विचार रखे.
उद्बोधन के पूर्व सरसंघचालक जी ने श्री सद्गुरु निवास का लोकार्पण किया. परिसर में वृक्षारोपण और गौ पूजन भी किया. कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन अखिल भारतीय संतमत – सत्संग महासभा के अध्यक्ष अरुण कुमार अग्रवाल ने किया. मंच संचालन स्वामी सत्यप्रकाश और विषय प्रवेश दिव्य प्रकाश ने किया.