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डी-लिस्टिंग हुंकार महारैली – जनजाति बंधु-बांधवों के लिए उदयपुर शहर के हर घर से भोजन पैकेट तैयार होगा - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

डी-लिस्टिंग हुंकार महारैली – जनजाति बंधु-बांधवों के लिए उदयपुर शहर के हर घर से भोजन पैकेट तैयार होगा

18 जून को जनजाति समाज की डी-लिस्टिंग हुंकार महारैली के करपत्रक का विमोचन

उदयपुर. हल्दीघाटी युद्ध दिवस 18 जून को उदयपुर शहर में जनजाति समाज की डी-लिस्टिंग हुंकार रैली को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. जनजाति बहुल कोटड़ा, सराड़ा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा सहित राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में जन-जागरण अभियान जारी है. वहीं उदयपुर शहर में भी जनजाति बंधु-बांधवों के आगमन पर उनके भव्य स्वागत की तैयारियां की जा रही हैं. जनजाति बंधु-बांधवों के लिए उदयपुर शहर के हर घर से भोजन पैकेट एकत्र करने का निर्णय किया गया है. भोजन पैकेट तैयार करने के साथ ही उदयपुर शहरवासी जनजाति समाज के बंधुओं का भव्य स्वागत भी करेंगे.

जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान के बैनर तले होने वाली डी-लिस्टिंग हुंकार महारैली के संयोजक नारायण गमेती ने सोमवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि डी-लिस्टिंग महारैली जनजाति समाज के हक और उनकी संस्कृति को बचाने के लिए आहूत की जा रही है. महारैली के माध्यम से यह मांग उठाई जाएगी कि जनजाति समाज के जिस व्यक्ति ने अपना धर्म बदल लिया है, उसे एसटी के नाते प्रदत्त सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए. जब अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए संविधान में यह नियम लागू है तो अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए भी यह प्रावधान संविधान में जोड़ा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि धर्म बदलने वाले अपनी चतुराई से दोहरा लाभ उठा रहे हैं, जबकि मूल आदिवासी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहा है.

महारैली में पूरे राजस्थान से जनजाति समाज के लोग अपनी पारम्परिक वेशभूषा एवं वाद्ययंत्रों के साथ एकत्र होंगे और डी-लिस्टिंग की आवाज को बुलंद करेंगे. हुंकार महारैली को लेकर पूरे राजस्थान में तैयारियां शुरू हो गई हैं. उदयपुर संत समाज और मातृशक्ति ने भी जनजाति बंधु-बांधवों की आवाज को बुलंद करने के लिए हरसंभव सहयोग का ऐलान किया है.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उदयपुर में महारैली में आने वाले एक लाख से अधिक जनजाति बंधु-बांधवों के भोजन की व्यवस्था उदयपुर शहर के घर-घर से की जाएगी. घर-घर से माताओं-बहनों से जनजाति बंधुओं के लिए भोजन पैकेट तैयार करने का आग्रह किया जाएगा. महारैली के दिन जनजाति सुरक्षा मंच सहित विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता घर-घर से भोजन पैकेट एकत्र कर निर्धारित स्थलों पर पहुंचाएंगे जहां से उनका वितरण जनजाति बंधुओं को किया जाएगा.

जनजाति सुरक्षा मंच के केंद्रीय प्रतिनिधि हिम्मतलाल तावड़ ने बताया कि चूंकि राजस्थान का 80 प्रतिशत जनजाति समाज दक्षिणी राजस्थान में है. इस नाते उदयपुर जनजाति समाज के लिए महत्वपूर्ण केन्द्र भी है. यही कारण है कि हुंकार महारैली का आयोजन उदयपुर में रखा गया है.

पूरे राजस्थान से जनजाति समाज के बंधु 18 जून को सुबह से पहुंचना शुरू होंगे. शहर की विभिन्न दिशाओं में उनके वाहन रखने की व्यवस्था की जाएगी. वे अलग-अलग दिशाओं से रैलियों के रूप में गांधी ग्राउण्ड पहुंचेंगे. शाम 4 बजे से गांधी ग्राउण्ड में जनजाति संस्कृति के विविध रंगों को दर्शाती प्रस्तुतियों का दौर रहेगा. पत्रकार वार्ता में डी-लिस्टिंग हुंकार रैली के करपत्रक का विमोचन किया गया.

इस क्रम में राजस्थान में 5500 जनजाति ग्रामों में संपर्क किया गया है, 14 जिलों में जिला सम्मेलन आयोजित किए हैं जो लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष को आगे बढ़ाएगा. सभी राजनीतिक दल, एनजीओ, युवाओं, महिलाओं, सर्व समाज और समाज के मुखियाओं से सहयोग, सहकार और समन्वय का आग्रह किया गया है.

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