नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि पश्चिम बंगाल के संदेशखाली से वहां की सत्ताधारी पार्टी और मुस्लिम गुंडा-तत्वों के गठजोड़ की गंभीर खबरें आ रही हैं. संदेशखाली की बर्बरता और उसको मिले राज्य सरकार के संरक्षण, समर्थन और प्रश्रय ने स्पष्ट कर दिया है कि वहाँ अब संविधान का नहीं, अराजकता व बर्बरता का साम्राज्य है. इसलिए पीड़ितों को न्याय तथा अराजकता पर अंकुश हेतु वहाँ राष्ट्रपति शासन लगाया जाए.
ज्ञातव्य हो कि 4-5 जनवरी, 2024 के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक टीम पर 24 परगना के संदेशखाली गांव में शेख शाहजहां के यहां पीडीएस स्कैम के विषय में जांच करने गई थी. यह जांच पूर्णरूप से कानून के अनुसार हो रही थी. पर, जांच के दौरान वहां सत्ताधारी पार्टी के सैकड़ों लोग एकत्रित हो गए, नारे लगाए, ईडी की कारों में तोड़फोड़ की गई. जांच कर रहे अफसरों का सामान छीन लिया गया और उसमें से तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा.
विहिप कार्याध्यक्ष के अनुसार यह भारत की सत्ता को चुनौती थी. वहां के राज्यपाल और न्यायिक व्यवस्था ने भी इस पर चिंता व्यक्त की. इस विषय पर जब आगे जांच की गई तो बड़े हृदयविदारक तथ्य सामने आए. पता चला कि शेख शाहजहां का संदेशखाली में राज चलता है, पुलिस या सरकार का नहीं. वह जबरन लोगों की जमीनों पर कब्जा करता है. महिला आयोग व इसकी अध्यक्षा ने इस विषय की स्वयं जांच की है. वहां के हाईकोर्ट ने भी इस विषय की जांच की है और जांच के बाद यह सामने आया कि शाहजहां और उसके समर्थकों को वहां की महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और बलात्कार की खुली छूट थी. स्थिति इतनी भयावह थी कि पीड़ितों की एफआईआर तक दर्ज नहीं होती थी. स्थिति यह हो गई थी कि उन लोगों को यदि कोई लड़की पसंद आती थी तो वह उस लड़की के परिवार को संदेश भेजते थे कि लड़की को पार्टी ऑफिस छोड़ जाओ. आतंक का मारा वह परिवार अपनी उस लड़की को वहां छोड़ने जाता और अगला संदेश मिलने पर वापस लाता था.
आलोक कुमार ने कहा कि महिला आयोग की अध्यक्षा ने भी बताया कि उन्हें महिला यौन शोषण से संबंधित 18 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से दो शिकायतें बलात्कार की हैं. यह 18 बहनें तो वह हैं जो शोषण के विरुद्ध सामने आई हैं. कोर्ट ने भी बार-बार यह पूछा है कि अपराधी जनवरी से अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किए गए. महिलाओं के विरुद्ध होने वाली ये घटनाएं चिंताजनक है और शिकायतों पर सरकार और पुलिस द्वारा कार्यवाही न करना और भी चिंताजनक है.
यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस राज्य की मुख्यमंत्री स्वयं एक महिला है, वह महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहीं. अचंभित करने वाली बात यह है कि बजाय शाहजहां पर कार्यवाही करने के, वहां की सरकार लगातार उसे बचाने के प्रयास में जुटी है. कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद सुवेंदु अधिकारी वहां गए तो महिलाएं बिलख-बिलख कर अपनी पीड़ा का बयान कर रही थीं. दुर्भाग्यपूर्ण है कि ममता बनर्जी शाहजहां और उनके गुंडागर्दी का बचाव कर रही है.
ममता जी इस पर विचार करें कि क्या वहां कानून का शासन चल रहा है? क्या वहां की सरकार संविधान के अनुसार राज्य को चला पा रही है? आरोप इतने गंभीर हैं कि यह विचार करने का समय आ गया है कि बंगाल में अब राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाए.