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शक्ति और सामूहिकता का पर्व है श्री विजयादशमी - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

शक्ति और सामूहिकता का पर्व है श्री विजयादशमी

रांची. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रांची महानगर द्वारा श्री विजयादशमी उत्सव का आयोजन स्थानीय डीएवी कपिल देव कडरू मैदान में किया गया. इस अवसर पर पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवकों ने पथ संचलन में भाग लिया. स्थानीय नागरिकों ने विभिन्न स्थानों पर पुष्प वर्षा कर पथ संचलन का स्वागत किया.

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य वी. भागैय्या जी ने कहा कि श्री विजयादशमी का यह पर्व शक्ति और सामूहिकता का पर्व है. यह आसुरी शक्तियों पर सात्विक शक्तियों की विजय का प्रतीक है. हमें इस पावन पर्व के बीज मंत्र को समझना होगा, दिखावे का परित्याग कर उत्सव की प्रकृति को आत्मसात करना चाहिए. यह उत्सव ‘धर्म की विजय निश्चित है’, का भाव अपने समाज में संचारित करता है. रामायण मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन से व्यापक सीख का स्मरण कराती है.

उन्होंने कहा कि १८५७ की क्रांति में उसी सामूहिकता का भाव अपने समाज में दिखा. अपना समाज कभी भिरुता के मार्ग का नहीं, बल्कि त्याग, बलिदान और समर्पण के मार्ग का अनुयायी रहा है. १९४७ में उसी त्याग और समर्पण ने ब्रिटिश सत्ता से स्वाधीनता को प्राप्त किया. इतना ही नहीं जब १९७५ में आपातकाल लाया गया, उस समय भी अपने समाज ने इसी सामूहिकता और शौर्य का परिचय देकर अपनी विराट शक्ति को प्रदर्शित किया तो तानाशाही प्रवृति को लोकतंत्र के आगे घुटने टेकने को मजबूर कर दिया. भागैय्या जी ने कहा कि जब-जब हिन्दू संगठित हुआ, यह राष्ट्र वैभव को प्राप्त हुआ और जब हिन्दू बिखरे तो यह राष्ट्र पराभव को प्राप्त किया. आज एक बार फिर जाति के नाम पर हिन्दुओं को बांटने का, देश को खंडित करने का दुष्चक्र चल रहा है.

उन्होंने कहा कि हिन्दू हमारी राष्ट्रीयता है, हमारी अस्मिता है. वास्तव में आत्मविस्मृत हिन्दू समाज को आत्मबल वाला समाज बनाना है. इस नाते हमें शक्ति की उपासना करनी होगी. हमें सिर्फ भक्ति नहीं, अपितु शक्ति का भी आग्रही होना चाहिए. अपना हिन्दू समाज भक्ति की सामूहिकता में शक्ति की सामूहिकता को भूलता जा रहा है. घोष की टंकार अपने रक्त के संचार को जो स्पंदन देती है, वह समाज-राष्ट्र के लिए कुछ करने का भाव पैदा करती है.

आज विश्व शांति, प्रगति के लिए भारत की ओर आशाभरी दृष्टि से देख रहा है. आज भारत हर क्षेत्र में प्रगति का परचम लहरा रहा है, यह आनंद का विषय है. आज विश्व भारत को अपने मार्गदर्शक के रूप में देखने लगा है.

उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं से सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण के लिए, जल, जंगल, जमीन के संरक्षण के लिए कार्य करने का आह्वान किया.

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