“सेतुबंध” ग्रंथ का सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी द्वारा विमोचन
मुंबई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी एवं स्वर्गीय राजाभाऊ नेने ने ग्रंथ के माध्यम से लक्ष्मणराव इनामदार उपाख्य वकील साहब के कार्यों का वर्णन किया है. मूल गुजराती ग्रंथ “सेतुबंध” के मराठी अनुवाद का विमोचन समारोह 4 जुलाई, 2023 को शाम 6 बजे मुंबई के यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान सभागार में संपन्न हुआ.
कार्यक्रम में ज्येष्ठ स्वयंसेवक विमल केडिया जी ने कहा कि जिस तरह कोई पौधा अनुपयोगी नहीं होता, उसी तरह कोई भी इंसान अनुपयोगी नहीं होता. हर किसी में कुछ न कुछ गुण होते हैं. उन्हें सही तरीके से संगठन के कार्य में सहभागी किया जा सकता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि ”मैंने अनुभव किया है कि वे जानबूझकर दुर्वासा ऋषि का रूप धारण कर लेते थे”. पर, वकील साहब बहुत सौम्य स्वभाव के थे.
उनके पास एक ही समय में उड़ने और चलने की गति थी. वकील साहब की छवि एक अच्छे स्वयंसेवक “बोले तैसा चाले” की थी. वकील साहब डॉक्टर जी के प्रतिबिम्ब स्वरूप थे. उनके पेट में लीवर कैंसर था और असहनीय दर्द हो रहा था, फिर भी उन्होंने प्रवास नहीं छोड़ा. उन्होंने किसी को भी अपने दर्द का एहसास नहीं होने दिया. डॉक्टर जी के पारस स्पर्श से वह भी पारस बन गए. उन्होंने विरोधियों को कभी पराया नहीं समझा. सरसंघचालक जी ने कहा कि उनके सान्निध्य में ऐसा लगता था जैसे बरगद के पेड़ की छाया में टहल रहे हों. उनके सहज दृष्टिकोण ने हर किसी को राष्ट्र कार्य के लिए प्रेरित किया. कार्यकर्ताओं को क्षेत्र बदलने पर अपनी शैली बदलनी चाहिए, न कि अपने मूल्य बदलने चाहिएं.
उन्होंने कहा कि चींटी की गति से ही क्यों न सही, जब तक हम लक्ष्मण राव के दिखाए रास्ते पर नहीं चलेंगे, तब तक भारत विश्वगुरु नहीं बन सकता. लक्ष्मण राव को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता, उन्हें अनुभव करना पड़ता है.
वकील साहब के पोते और इस कार्यक्रम की संकल्पना करने वाले संजय इनामदार ने कहा कि सेतुबंध ग्रंथ निःशुल्क उपलब्ध करायी गयी है ताकि इस पुस्तक का उपयोग राष्ट्र के उत्थान तथा वकील साहब का परिचय समाज को हो सके.
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामभाऊ नाइक भी उपस्थित रहे. कार्यक्रम की परिकल्पना संजय हेमन्त इनामदार जी की थी. उन्होंने कार्यक्रम का सूत्र संचालन किया और प्रकाशक आनंद लिमये ने सबका परिचय कराया.