Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/includes/menu-editor-core.php on line 3424
अ. भा. प्र. स. में पारित प्रस्ताव – ‘स्व’ आधारित राष्ट्र के नवोत्थान का संकल्प लें - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

अ. भा. प्र. स. में पारित प्रस्ताव – ‘स्व’ आधारित राष्ट्र के नवोत्थान का संकल्प लें

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह सुविचारित अभिमत है कि विश्व कल्याण के उदात्त लक्ष्य को मूर्तरूप प्रदान करने हेतु भारत के ‘स्व’ की सुदीर्घ यात्रा हम सभी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रही है। विदेशी आक्रमणों तथा संघर्ष के काल में भारतीय जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ तथा सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व धार्मिक व्यवस्थाओं को गहरी चोट पहुँची। इस कालखंड में पूज्य संतों व महापुरुषों के नेतृत्व में संपूर्ण समाज ने सतत संघर्षरत रहते हुए अपने ‘स्व’ को बचाए रखा। इस संग्राम की प्रेरणा स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की ‘स्व’ त्रयी में निहित थी, जिसमें समस्त समाज की सहभागिता रही। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर सम्पूर्ण राष्ट्र ने इस संघर्ष में योगदान देने वाले जननायकों, स्वतंत्रता सेनानियों तथा मनीषियों का कृतज्ञतापूर्वक स्मरण किया है।

स्वाधीनता प्राप्ति के उपरांत हमने अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। आज भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभर रही है। भारत के सनातन मूल्यों के आधार पर होने वाले नवोत्थान को विश्व स्वीकार कर रहा है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा के आधार पर विश्व शांति, विश्व बंधुत्व और मानव कल्याण के लिए भारत अपनी भूमिका निभाने के लिए अग्रसर है।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का मत है कि सुसंगठित, विजयशाली व समृद्ध राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति, सर्वांगीण विकास के अवसर, तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग एवं पर्यावरणपूरक विकास सहित आधुनिकीकरण की भारतीय संकल्पना के आधार पर नए प्रतिमान खड़े करने जैसी चुनौतियों से पार पाना होगा। राष्ट्र के नवोत्थान के लिए हमें परिवार संस्था का दृढ़ीकरण, बंधुता पर आधारित समरस समाज का निर्माण तथा स्वदेशी भाव के साथ उद्यमिता का विकास आदि उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इस दृष्टि से समाज के सभी घटकों, विशेषकर युवा वर्ग को समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता रहेगी। संघर्षकाल में विदेशी शासन से मुक्ति हेतु जिस प्रकार त्याग और बलिदान की आवश्यकता थी; उसी प्रकार वर्तमान समय में उपर्युक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नागरिक कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध तथा औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त समाजजीवन भी खड़ा करना होगा। इस परिप्रेक्ष्य में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा स्वाधीनता दिवस पर दिये गए ‘पंच-प्रण’ का आह्वान भी महत्वपूर्ण है।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा इस बात को रेखांकित करना चाहती है कि जहाँ अनेक देश भारत की ओर सम्मान और सद्भाव रखते हैं, वहीं भारत के ‘स्व’ आधारित इस पुनरुत्थान को विश्व की कुछ शक्तियाँ स्वीकार नहीं कर पा रही हैं। हिंदुत्व के विचार का विरोध करने वाली देश के भीतर और बाहर की अनेक शक्तियाँ निहित स्वार्थों और भेदों को उभार कर समाज में परस्पर अविश्वास, तंत्र के प्रति अनास्था और अराजकता पैदा करने हेतु नए-नए षड्यंत्र रच रही हैं। हमें इन सबके प्रति जागरूक रहते हुए उनके मंतव्यों को भी विफल करना होगा।

यह अमृतकाल हमें भारत को वैश्विक नेतृत्व प्राप्त कराने के लिए सामूहिक उद्यम करने का अवसर प्रदान कर रहा है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा प्रबुद्ध वर्ग सहित सम्पूर्ण समाज का आह्वान करती है कि भारतीय चिंतन के प्रकाश में सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, लोकतांत्रिक, न्यायिक संस्थाओं सहित समाजजीवन के सभी क्षेत्रों में कालसुसंगत रचनाएँ विकसित करने के इस कार्य में संपूर्ण शक्ति से सहभागी बने, जिससे भारत विश्वमंच पर एक समर्थ, वैभवशाली और विश्वकल्याणकारी राष्ट्र के रूप में समुचित स्थान प्राप्त कर सके।

Leave a Reply