झाबुआ. विशाल हलमा कार्यक्रम में छात्रावास के बालकों ने हलमा स्थल हाथीपावा हवाई पट्टी पर झाबुआ एवं आलीराजपुर का संयुक्त 3डी मानचित्र 100×50 वर्ग फीट भूमि पर तैयार किया.
हलमा, भील समाज में सामूहिक सहायता की वह परंपरा है जो निःस्वार्थ भावना से की जाती है. इसी हलमा परंपरा को मानचित्र के द्वारा जीवंत किया गया, जो इन बालकों के बुद्धि कौशल, कठिन परिश्रम व अथक प्रयासों का परिणाम है. मिट्टी, गोबर एवं रंगोली जैसे प्राकृतिक संसाधनों से बने इस विशाल मानचित्र को बनाने में मात्र ₹2000 का खर्च आया.
मानचित्र में मुख्य रूप से झाबुआ एवं आलीराजपुर के सभी विकास खंडों की सीमा, दर्शनीय स्थलों, मंदिरों, पर्वत- पहाड़ों, नदियों, बांधों एवं क्षेत्रीय, ग्रामीण जनजातीय परिवेश को बहुत ही रोचक तरीके से दर्शाया गया.
हलमा करने आए लोगों के साथ-साथ हलमा दर्शन हेतु देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे अधिकारियों एवं विभिन्न संस्थानों, विश्वविद्यालयों में अध्यनरत इंटर्नशिप करने आए विद्यार्थियों ने मानचित्र की प्रशंसा की.
इंदौर से हलमा कार्यक्रम को देखने आए सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर महोदय के अनुसार “इतना व्यवस्थित 3D मानचित्र हम सेना के कैंप में नहीं बना पाते हैं” उन्होंने बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए 1100 रुपये की राशि भी भेंट की.
छात्रों ने ग्रामीण परिवेश को दर्शाता हुआ सेल्फी पॉइंट भी बनाया, जिसमें जनजातीय बंधुओं के रहन-सहन संबंधी माटी कुटिर (कुटिया), नित्य उपयोगी मिट्टी के बर्तन, प्राकृतिक संसाधन, अस्त्र-शस्त्र, गहने-आभूषण, परिधान – वेशभूषा, प्राकृतिक घड़ी आदि की प्रदर्शनी लगाई गई.