प्रारम्भ –
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 1952 में प्रारम्भ हुए पहले सरस्वती शिशु मन्दिर योजना की सुदीर्घ या़त्रा अब 12294 औपचारिक विद्यालयों तथा लगभग 9 हजार अनौपचारिक शिक्षण केन्द्रों के माध्यम से भारत के कोने-कोने में 35 लाख विद्यार्थियों और उनका जीवन निर्माण कर रहे 1.5 लाख आचार्यों के साथ, जिनमें दूरस्थ क्षेत्रों में एकल-शिक्षक विद्यालय भी सम्मिलित हैं, शिक्षा का प्रकाश फैला रही है. नए विद्यालयों की स्थापना की निरन्तर माँग के साथ विद्या भारती प्रतिवर्ष संख्यात्मक एवं गुणात्मक वृद्धि के नए कीर्तिमान रच रही है. संस्था को अखिल भारतीय स्वरूप 1977 में प्राप्त हुआ, जिससे सभी शिक्षण संस्थान प्रान्तीय इकाइयों के माध्यम से सम्बद्ध हैं.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन में भूमिका –
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसाओं का स्वागत करने के सााथ समुचित रूप से क्रियान्वयन करना विद्या भारती की प्राथमिकता है. प्रसन्नता की बात है कि इस भारत-केन्द्रित शिक्षा नीति में मनुष्य-निर्माण की गतिविधियों पर बल दिया गया है जो प्रारम्भ काल से विद्या भारती के 28 व्यक्तित्व विकास के विषयों के रूप में हमारे दृष्टिकोण का भाग था. विद्या भारती द्वारा किए गए प्रयोगों, जैसे विद्यालय सामाजिक चेतना का केन्द्र बने, सर्वांगीण विकास, समग्र विकास, पंचकोशात्मक विकास तथा अधिगम की पंचपदी पद्धति आदि को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या-2023 में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. विद्या भारती के विषय विशेषज्ञों ने बाल्यावस्था शिक्षा एवं देखभाल स्तर के लिए पुस्तकों की रचना करने में एन.सी.ई.आर.टी. की सहायता की है.
समाज की सेवा में विद्या भारती के पूर्व छात्रों की भूमिका –
विद्या भारती के अनुमानित 40 लाख पूर्व छात्रों में से 9.5 लाख की जानकारी हमारे पोर्टल पर उपलब्ध है तथा शेष से सम्पर्क का प्रयास जारी है. ये पूर्व छात्र समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों – केन्द्र तथा राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं, न्यायपालिका, खेल, रक्षा सेवा, इसरो जैसे संस्थानों तथा विविध क्षेत्रों में प्रतिष्ठापूर्ण स्थानों पर कार्य करते हुए सामाजिक दायित्वबोध के उच्च स्तर के साथ समाज की सेवा में लगे हैं. विश्व के 68 देशों में रह रहे विद्या भारती के पूर्व छात्र भारत के सांस्कृतिक दूत के रूप में उन देशों की प्रगति में भी योगदान कर रहे हैं.
दूरस्थ, सीमावर्ती, जनजातीय तथा संवेदनशील क्षेत्रों में विद्या भारती विद्यालय –
पूर्वोत्तर राज्यों, झारखण्ड, ओडिशा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान एवं गुजरात के जनजातीय क्षेत्रों में विद्या भारती के 1000 से अधिक विद्यालय चल रहे हैं. जिनमें से अधिकांश में छात्रावास की सुविधा भी उपलब्ध है. इनके अतिरिक्त, देशभर में नगरीय क्षेत्रों में चलने वाले विद्यालयों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रतिभावान 2000 से अधिक विद्यार्थियों के लिए निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था है. सीमावर्ती 167 विकास खण्डों में विद्या भारती 211 विद्यालय चलाती है. राष्ट्रहित तथा उन स्थानों के राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्व को ध्यान में रखते हुए शीघ्र ही शेष 153 विकास खण्डों में विद्यालय प्रारम्भ करने की योजना है.
भारत सरकार की योजना के अनुसार, विद्या भारती के माध्यम से 11 स्थानों – बिहार के पटना, समस्तीपुर और भागलपुर, केरल के मल्लपुरम एवं मावेलिक्काराय, मध्यप्रदेश के मन्दसौर तथा नर्मदापुरम, पंजाब के नाभा, दादरा-नगर हवेली के सिलवासा तथा उत्तरप्रदेश के शिकारपुर में सैनिक विद्यालय भी संचालित हैं.
उच्च शिक्षा में विद्या भारती –
स्कूली शिक्षा के साथ विद्या भारती का काम उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रारम्भ हुआ है. गुवाहाटी में एक विश्वविद्यालय तथा देशभर में 53 महाविद्यालयों, जिनमें अधिकांश शिक्षा महाविद्यालय हैं, के साथ विद्या भारती की उपस्थिति है.
व्यावसायिक शिक्षा केन्द्र –
हिमाचल प्रदेश के शिमला और मण्डी, लद्दाख के कारगिल तथा नागालैण्ड के किफरे में 4 जनशिक्षण संस्थान संचालित हैं. औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान आदि व्यावसायिक शिक्षा के केन्द्र चल रहे हैं, जिनकी संख्या बढ़ाने की योजना है.
आयाम एवं अनुसंधान संस्थान –
लखनऊ स्थित भारतीय शिक्षा शोध संस्थान मौलिक तथा क्रियाशोध के कार्यक्रम संचालित करता है. गाँधीधाम, गुजरात में 0 से 8 वर्ष आयुवर्ग के शिशुओं की विशेष शिक्षा पर अनुसंधान के लिए समर्थ भारत अनुसंधान केन्द्र संचालित है. शिक्षकों के सतत व्यावसायिक विकास के उद्देश्य से प्रशिक्षण की सशक्त व्यवस्था केन्द्रीय तथा राज्यों के स्तर पर खड़ी की गई है. भोपाल में मुख्यालय के साथ विद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता विकास की दृष्टि से मानक परिषद की रचना है. विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान, कुरुक्षेत्र द्वारा भारतीय संस्कृति से नई पीढ़ी को परिचित कराने के लिए संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन अखिल भारतीय स्तर पर किया जाता है. जिसमें प्रतिवर्ष 25 लाख से अधिक विद्यार्थी, अभिभावक तथा आचार्यगण सम्मिलित होते हैं.
बोर्ड परीक्षा परिणामों में विद्या भारती का कीर्तिमान –
राज्यों के बोर्डों द्वारा आयोजित परीक्षाओं में विद्या भारती विद्यालयों के अनेक छात्र प्रतिवर्ष प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करते हैं. वर्ष 2023 में 11 राज्यों – उत्तर प्रदेश, ओडिशा, झारखण्ड, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब तथा असम में विद्या भारती विद्यालयों के 306 छात्रों ने प्रावीण्य सूची में स्थान अर्जित किया. असम, ओडिशा, झाारखण्ड तथा उत्तर प्रदेश के राज्य बोर्डों में मेधावी छात्र सूची में सर्वोच्च स्थान विद्या भारती के विद्यार्थियों ने प्राप्त किया.
डी. रामकृष्ण राव, अध्यक्ष, विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान