काशी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कहा कि हिन्दुत्व पर वैचारिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और शारीरिक आक्रमण को रोकने का सर्वप्रथम प्रयत्न छत्रपति शिवा जी महाराज ने किया.
अनिल ओक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केन्द्र के सभागार में छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित और ऐतिहासिक महानाट्य जाणता राजा (दूरदर्शी राजा) के मंचन से पूर्व आयोजित संवाद कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. 21 से 26 नवंबर को आयोजित होने वाले महानाट्य के बारे में उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिन्दवी स्वराज के 350 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में काशी में महानाट्य का मंचन हो रहा है. शिवा जी महाराज की युद्धनीति के सन्दर्भ में कहा कि स्वराज की स्थापना हेतु जीवित रहना आवश्यक है. अतः युद्ध जीतने के लिए लड़ना चाहिए. लन्दन मिलिट्री स्कूल में विश्व के सात प्रमुख युद्धों में शिवाजी महाराज और अफजल खान के मध्य हुए युद्ध को सम्मिलित किया गया है.
उन्होंने कहा कि वास्तव में शिवाजी ने मात्र सात वर्ष युद्ध किया तथा 28 वर्ष सुराज के लिए कार्य किया. सर्वप्रथम पेंशन योजना, अनुकम्पा नियुक्ति, हर परिवार को अनाज योजना, नौसेना, नेवी का प्रारम्भ शिवाजी के ही शासन काल में हुआ. नाट्य के एक भाग में औरंगजेब ने भी शिवाजी के चरित्र की प्रशंसा की है. महानाट्य जाणता राजा वर्तमान परिस्थितियों में आमजन के मध्य छत्रपति शिवाजी महाराज जैसी दहाड़ मारेगा. हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना के लिए शिवा जी ने ऐसे मित्र बनाये, जिनका आदर्श वर्तमान परिस्थिति में भी प्रासंगिक है. शिवाजी नाई ने युद्ध में पारंगत न होते हुए भी स्वराज के लिए अपने प्राणों की चिंता न करके शत्रु के दल में सीधा प्रवेश किया. वहीं, बाजीप्रभु देशपाण्डे ने छत्रपति शिवाजी के प्राणों की रक्षा के लिए मात्र तीन सौ मावलों को लेकर चार हजार पठान घुड़सवारों के साथ भिड़ गए और वीरगति को प्राप्त हुए. वर्तमान में महाराष्ट्र का वह स्थान पावन खिण्ड के नाम से प्रसिद्ध है.
राष्ट्रभक्ति का भाव शिवाजी महाराज में कूट-कूटकर भरा था. उन्हें राजा बनने की इच्छा नहीं थी, परन्तु हिन्दवी साम्राज्य की स्थापना के लिए उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की. शिवाजी महाराज महिलाओं का भी विशेष सत्कार करते थे. उन्होंने गरीब महिला के साथ दुर्व्यवहार करने के कारण अपने सगे मामा मोहिते को भी आजीवन कारावास का दण्ड दिया. त्वरित निर्णय लेना छत्रपति शिवाजी महाराज की विशेषता थी. मात्र 60 सैनिकों को लेकर शाइस्ता खान के महल में एक लाख सैनिकों को गुरिल्ला युद्ध करके पराजित किया. शिवाजी महाराज के इन्हीं आदर्शों को कलमबद्ध करते हुए बाबा साहब पुरन्दरे जी ने महानाट्य की रचना की.
कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए प्रख्यात कथावाचक शांतनु जी महाराज ने कहा कि भारतीय इतिहास के साथ षड्यंत्र कर कई महापुरुषों के चरित्रों को इतिहास के पृष्ठों से गायब कर दिया गया. सेवा भारती काशी प्रान्त ऐसे ही एक चरित्र को पढ़ाने, दिखाने और सुनाने का कार्य करेगा. महामना की बगिया में जाणता राजा का मंचन महामना को भी प्रसन्न करेगा. जिस प्रकार अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण हेतु सभी भारतीयों ने अपनी – अपनी आहुति डाली थी, उसी प्रकार सभी की आहुति इस महानाट्य हेतु भी होनी चाहिए.
भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि शिवाजी महाराज के जीवन में काशी के विद्वतजनों का भी योगदान था. यहीं के पंडित गागा भट्ट ने शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक कराया. वास्तव में वर्तमान कालखंड भी ऐसी परिस्थितियों से गुजर रहा है, जैसी परिस्थितियां शिवाजी महाराज के समय में थी. ऐसे में जाणता राजा महानाट्य का मंचन हमें उन परिस्थितियों का समाधान प्रदान करेगा.
कार्यक्रम के प्रारम्भ में मंचासीन अतिथियों द्वारा महामना की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन किया गया.
कैंसर अस्पताल के तीमारदारों के लिए होगी आवासीय व्यवस्था
अनिल ओक ने बताया कि 21 से 26 नवंबर तक एम्फीथियेटर मैदान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में यह नाटक सायं काल 5:30 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक आयोजित किया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि नाटक देखने के लिए टिकट की व्यवस्था की गई है. इस टिकट से प्राप्त होने वाले धन से काशी के कैंसर अस्पताल के सामने तीमारदारों के लिए आवासीय व्यवस्था की जाएगी.
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