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डी-लिस्टिंग के समर्थन में 221 जिलों में लगभग 50 हजार ग्रामों तक संपर्क हुआ, 7 लाख लोग हुए सहभागी - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

डी-लिस्टिंग के समर्थन में 221 जिलों में लगभग 50 हजार ग्रामों तक संपर्क हुआ, 7 लाख लोग हुए सहभागी

रायपुर (छत्तीसगढ़). प्रदेश की राजधानी में स्थित श्री रामनाथ भीमसेन सभा भवन, समता कॉलोनी में जनजाति सुरक्षा मंच की केंद्रीय टोली की दो दिवसीय (23-24 सितम्बर 2023) बैठक सम्पन्न हुई. बैठक के संबंध में विस्तृत जानकारी देने के लिए रविवार को आयोजित प्रेसवार्ता में जनजाति सुरक्षा मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक डॉ. राजकिशोर हंसदा ने चर्चा की.

उन्होंने बताया कि, जनजाति सुरक्षा मंच धर्मांतरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति सूची से हटाए जाने के लिए देशभर में 2006 से लगातार आन्दोलनरत है. यह मंच अब तक 221 जिलों में जिला रैली एवं 8 राज्यों में प्रांत स्तर की रैलियों का आयोजन कर चुका है. इन रैलियों में लगभग 50 हजार ग्रामों में संपर्क किया गया एवं इन रैलियों में करीब 7 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी रही है, जिसमें सभी आयु वर्ग, हित समूह की उपस्थिति रही. कुछ अन्य राज्यों में भी आगामी दिनों में प्रांत स्तरीय रैलियां होनी है.

इन रैलियों का एक ही लक्ष्य व मांग है – संविधान के अनुच्छेद 342 में अनुच्छेद 341 की भांति प्रावधान किए जाएं अर्थात् अनुसूचित जातियों की तर्ज पर अनुसूचित जनजातियों के लिए संवैधानिक प्रावधान करना है. मूल धर्म, संस्कृति, परंपरा और रूढ़ि व्यवस्था छोड़कर ईसाई या इस्लाम मजहब में धर्मांतरित व्यक्तियों को एस.टी. सूची से बाहर किया जाए. यह आंदोलन डी-लिस्टिंग आंदोलन कहलाता है.

जनजाति सुरक्षा मंच की रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय टोली की समीक्षा बैठक में अब तक की प्रगति एवं आगामी योजना पर चर्चा की गई.

जिसमें 4 प्रमुख विषय रहे 

  1. जो धर्मांतरित व्यक्ति है, वह अनुसूचित जनजाति की परिभाषा में अवैध है. जानकारी में आया है कि विधानसभा के लिए ST हेतु आरक्षित सीट से धर्मांतरित व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जा सकता है. इसका हम विरोध करते हैं.

क्योंकि धर्मांतरित व्यक्ति, जनजातियों की मूल रीति, परम्पराओं को छोड़ कर किसी अन्य रिलीजन या मजहब में चला जाता है. ऐसा व्यक्ति, भारत सरकार के स्थापित मापदंड और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का कहीं भी पालन नहीं करता है. ये मानक मुख्यतः मूल संस्कृति और पुरखों के जीवन मूल्यों में देख सकते हैं.

  1. आगामी दिसंबर- 2023 तक शेष राज्यों में भी प्रांत स्तर की रैलियों का आयोजन मंच करेगा, जिसमें महाराष्ट्र, झारखंड, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार, त्रिपुरा व पश्चिम बंगाल मुख्य हैं. इन रैलियों में जनजाति समाज के साथ ही साथ समाज के हितैषी संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा.
  2. बैठक में डी-लिस्टिंग विषय पर चल रहे आंदोलन को आगे बढ़ाने की कार्ययोजना पर भी चर्चा की गई. एक स्वर में तय किया गया कि यदि संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन करने हेतु डी-लिस्टिंग कानून नहीं बनाया जाता है तो राष्ट्र भर की 705 अनुसूचित जनजातियां, संसद का घेराव करेंगी.
  3. संगठनात्मक मजबूती देने के उद्देश्य से तय किया गया कि देशभर में ग्राम स्तर तक संगठन को ले जाया जाएगा. क्योंकि गांव की सड़क से राष्ट्र की संसद तक संघर्ष का हमारा आंदोलन है.

हंसदा ने कहा कि उक्त चार बिंदुओं पर आने वाले दिनों में कार्य करेंगे. तथ्य बताते हैं कि अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण, संरक्षण एवं विकास के फंड संबंधित संवैधानिक अधिकार वे लोग छीन रहे हैं जो पात्र नहीं हैं, जो मानक पर खरे नहीं उतरते हैं. ऐसे लोग धर्मांतरित हैं और इनकी संख्या कुल जनजातियों की संख्या में 10% से कम है, परंतु ये लोग 70% अधिकारों को हड़प रहे हैं. इस अन्याय के विरुद्ध जनजाति समाज ने यह आंदोलन खड़ा किया है. समाज की सज्जन शक्ति व जनजातियों के हित चाहने वाले कई अन्य समाज इसमें जुड़ते जा रहे हैं. उनका सहयोग मिलता जा रहा है.

प्रेसवार्ता में पवित्र कहर, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य; कालू सिंह मुजाल्दा, सदस्य राष्ट्रीय टोली जनजाति सुरक्षा मंच; रामनाथ कश्यप, सदस्य राष्ट्रीय टोली जनजाति सुरक्षा मंच उपस्थित थे.

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