Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/includes/menu-editor-core.php on line 3424
सुखी रहने का आधार निरामय जीवन – भय्याजी जोशी - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

सुखी रहने का आधार निरामय जीवन – भय्याजी जोशी

इंदौर (विसंकें). श्री गुरु जी सेवा न्यास इंदौर के तत्वाधान में सुसंस्कारित स्वास्थ्य सेवा की राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र में भय्याजी जोशी ने कहा कि देश एवं समाज की पहचान लोगों के आचरण, संस्कृति एवं परंपरा से होती है. भारत का चिंतन प्रारंभ से ही वैश्विक रहा है. हम “सर्वे भवन्तुः सुखिनः” का भाव रखते हैं! चिकित्सा का मूल, व्यवसाय ना होकर सेवा कार्य है. इस हेतु उन्होंने आर्थिक एवं सेवा पक्ष में संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सबका अधिकार है. किंतु, खर्चीली स्वास्थ्य सेवाओं का व्यय न दे पाने कारण यदि कुछ लोग दुःख भोगते हैं, तो हम स्वास्थ्य क्षेत्र में लगे कार्यकर्ताओं के लिए यह विचारणीय हो. स्वास्थ्य सेवा सस्ती तथा गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए.

भय्याजी जोशी के अनुसार कार्यक्रम का मूल उद्देश्य, संवेदना व सेवा का भाव प्रकट करना है. इस समय शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है. चिकित्सकों को सरल, समावेशी मानस एवं विश्वास का वातावरण निर्माण करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने बताया कि विश्वास ही व्यक्ति को कार्य करने के लिए बल प्रदान करता है. भारत में सभी चिकित्सा पद्धतियां सर्वसमावेशी हो. शिक्षा में स्वास्थ्य जागरूकता का समावेश होना चाहिए. उन्होंने सभी चिकित्सकों को ज्ञान योग, राज योग, कर्म योग व भक्ति योग के भाव के साथ अपने कार्य के प्रति समर्पित बनने का संकल्प दिलाया.

समापन सत्र में मंचासीन अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुहास जी हिरेमठ, डॉक्टर जयंतीभाई भाड़ेसिया, मालवा प्रांत संघचालक प्रकाश जी शास्त्री तथा श्री गुरुजी सेवा न्यास के मुकेश जी मोड उपस्थित रहे.

समापन सत्र से पूर्व डॉ. नागरत्ना जी ने स्वस्थ जीवन शैली पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि खानपान, व्यायाम, तनाव पर ध्यान देना आज के  समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है. उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित शोध पत्रों के आधार पर बताया कि प्रत्येक बीमारी को एक पेथी से ठीक नहीं किया जा सकता है, होलिस्टिक अप्रोच को अपनाने की जरूरत है. उनके अनुसार योग के द्वारा व्यक्ति के गुणधर्म स्तर तक परिवर्तन किया जा सकता है.

कार्यक्रम में डॉ. मंजुषा कुलकर्णी ने रक्तकोष श्रृंखला उपलब्धियां एवं अभय जी माटे ने अर्थकारण, उसकी रचना व अपेक्षा, पर विचार व्यक्त किए. आभार प्रदर्शन मुकेश जी मोड ने व्यक्त किया.

Leave a Reply