Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home/thxlzghk/news.vskodisha.com/wp-content/plugins/admin-menu-editor-pro-bk/includes/menu-editor-core.php on line 3424
चीन की फजीहत – चीन के नए फर्जी मैप पर भारत सहित 5 अन्य देशों ने भी जताई आपत्ति - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

चीन की फजीहत – चीन के नए फर्जी मैप पर भारत सहित 5 अन्य देशों ने भी जताई आपत्ति

नई दिल्ली. चीन और पाकिस्तान, दो ऐसे देश हैं जिनके DNA में ही धोखाधड़ी शामिल है. दोनों देश विश्वास के नाम पर पीठ में कब खंजर भोंक दें, इसका अंदाज़ा नहीं लगा सकते.

हमेशा की तरह, एक बार फिर चीन ने अपने तथाकथित स्टैंडर्ड मैप में पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चीन क्षेत्र को अपने हिस्से के रूप में दिखाया है. इसके अलावा, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर आदि क्षेत्रों को भी चीन ने अपना बताया था. चीन की हरकत को लेकर विरोध बढ़ रहा है. चीन की हरकत पर भारत ने भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. भारत के कड़े विरोध के बाद अब 5 अन्य देशों ने भी ड्रैगन के खिलाफ आपत्ति जताई है. भारत के अलावा फिलीपींस, मलेशिया, ताइवान, वियतनाम और इंडोनेशिया ने भी चीन के विवादित मैप का विरोध करते हुए साउथ चाइना सी में चीन के दावे को खारिज किया है.

भारत ने मंगलवार को चीन के इस विवादित मैप को लेकर राजनयिक स्तर पर अपना विरोध जताया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार देर रात एक बयान में कहा, ‘हम इन दावों को खारिज करते हैं क्योंकि इनका कोई आधार नहीं है. चीन के ऐसे कदम सीमा विवाद के समाधान को और जटिल बनाते हैं.’

इसके अलावा एक साक्षात्कार के दौरान विदेशमंत्री एस जयशंकर ने भी चीन के इस कदम का विरोध किया था. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि चीन की पुरानी आदत है. उनके दावों से कुछ नहीं होता. चीन ने नक्शे में जिन इलाकों को अपना बताया है, वो उनके नहीं हैं. ऐसा करना चीन की पुरानी आदत है. अक्साई चिन और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है. पहले भी चीन भारत के हिस्सों के लेकर नक्शे निकालता रहा है. लेकिन उसके दावों से कुछ नहीं होता. हमारी सरकार का रुख साफ है. बेकार के दावों से ऐसा नहीं हो जाता कि किसी और के इलाके आपके हो जाएंगे.

भारत के कड़े रुख के बाद अब इन देशों ने भी जताई आपत्ति

भारत के विरोध के बाद अब फिलीपींस ने भी चीन द्वारा किए जा रहे दावों का खंडन करते हुए कहा – चीन को जिम्मेदारी से फैसले लेते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए. वहीं मलेशिया ने चीन के विवादित नक्शे को लेकर डिप्लोमैटिक प्रोटेस्ट दर्ज कराया है. भारत, फिलीपींस और मलेशिया के अलावा वियतनाम सरकार ने भी चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा जारी नए नक़्शे को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए जारी बयान में कहा कि चीन उनके समुद्री क्षेत्र को अपना बताने का प्रयास कर रहा है. यह उनकी संप्रभुता के खिलाफ है. इसके अलावा इंडोनेशिया की विदेश मंत्री रेत्नो मर्सुदी ने चीन के नए मैप पर कहा कि चीन को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना चाहिए. किसी भी क्षेत्रीय रेखा या दावे का चित्रण समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसार होना चाहिए.

दरअसल, चीन ने अपने नए नक़्शे में हैनान द्वीप के साउथ में 1500 किमी तक एक U-शेप की लाइन दिखाई है. ये लाइन वियतनाम, फिलीपींस, ब्रुनेई और इंडोनेशिया के एक्सक्लूजिव इकोनॉमिक जोन्स से होकर गुजरती है. चीन के इस नए मैप में ज्यादा जियोग्राफिकल एरिया को कवर किया गया है. इसमें एक 10 डैश वाली लाइन है, जिसके जरिए चीन ने ताइवान को अपने हिस्से में दिखाया है. ये मैप 1948 में जारी नक्शे की तरह ही है.

दक्षिण चीन सागर का महत्व?

चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा पेश करता है. दक्षिण चीन सागर व्यापार के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिए सलाना करीब 3 खरब डॉलर का व्यापार होता है. एक अंतरराष्ट्रीय अदालत ने यह स्पष्ट कह दिया है कि चीन के दक्षिण चीन सागर पर अधिकार के दावे का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, बावजूद इसके चीन अपने दावे से पीछे नहीं हटा है. दक्षिण चीन सागर के कुछ हिस्सों पर मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और ब्रुनेई भी अपने-अपने दावे करते हैं. वहीं, अमेरिका भी अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता का दावा करने के लिए दक्षिण चीन सागर के माध्यम से नौसेनिक जहाज भेजता रहता है.

इसके अलावा चीन अरुणाचल प्रदेश पर पहले भी अपने दावे पेश करता रहा है. वो राज्य में 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर अपना दावा पेश करता है. जबकि सत्य यह है कि चीन ने भारत के अक्साई चिन के 38 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध कब्जा किया हुआ है.

Leave a Reply