काशी. विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि हम ऋणी हैं उस समाज के जिन्होंने मैला ढोना स्वीकार किया, लेकिन अपना धर्म छोड़ना स्वीकार नहीं किया. हम ऋणी हैं उस समाज के जिन्होंने चमड़े की जूती काटनी स्वीकार की, लेकिन सिकंदर लोदी के अत्याचारों के बावजूद राम का नाम लेना नहीं छोड़ा. जाति-पाति पूछे नहीं कोई, हरि का भजे सो हरि का होई, यही सनातन परम्परा है.
सुरेंद्र जैन विश्व हिन्दू परिषद एवं बजरंग दल द्वारा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के खेल मैदान में मंगलवार को आयोजित विशाल शौर्य सभा को संबोधित कर रहे थे.
ने कहा कि काशी में सनातन संस्कृति प्राचीन काल से बेहद समृद्ध रही है. भारत में आक्रांताओं ने बार- बार हिन्दू और सनातन संस्कृति को मिटाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह खुद ही मिटते चले गए. हिन्दुत्व भारत की आत्मा में रचा बसा है. इसे मिटाने की सोच रखने वाले आगे भी स्वयं मिट जाएंगे. उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर शान से बन रहा है. अब तो ऐसा लग रहा है कि काशी में भी नन्दी का इंतजार समाप्त होने वाला है, क्योंकि बाबा विश्वनाथ जी अपनी धरती को कभी छोड़ने वाले कदापि नहीं है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ हिन्दू विरोधी हमसे पूछते हैं कि आखिर हिन्दुत्व या सनातन कितनी पुरानी संस्कृति है तो उनकी मूढ़ता पर हंसी आती है. दरअसल उन्हें जर्मनी के उस वैज्ञानिक से सीख लेनी चाहिए, जिसने अपनी पुस्तक में लिखा है – सनातन संस्कृति इतिहास लिखे जाने के बहुत पहले से ही विद्यमान है.
डॉ. जैन ने कहा कि हिन्दू समाज को इज़राइल में आतंकी संगठन हमास के हमले से भी सीख लेनी होगी. ऐसे लोग कभी भी आपके लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकते हैं, इसलिए सर्वदा सतर्क और संगठित रहिए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में कुछ लोग आतंकी संगठन हमास का समर्थन करते दिख रहे हैं, वह कदापि भारत हितैषी नहीं हो सकते. उन्होंने काशी की प्राचीन संस्कृति, सभ्यता पर चर्चा करते हुए कहा कि काशी नगरी बाबा भोले के त्रिशूल पर बसी है. वेद, पुराणों में इसका वर्णन है. यह वही धरती है, जहां जैन धर्म के चार तीर्थंकर हुए तो भगवान बुद्ध ने पांच शिष्यों को धर्म का उपदेश दिया. काशी में ही महान संत रविदास हुए तो कबीर दास की जन्मस्थली भी काशी है.
उन्होंने कहा कि कुछ लोग सनातन का विरोध करते हैं, लेकिन ऐसे लोगों के पूर्वज भी हिन्दुत्व और सनातन की ही पूजा करते थे, आज भले ही वोट के लिए तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हों.
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने विभाजन के समय स्वयं कहा था कि यदि धर्म के आधार पर बंटवारा हो रहा है तो फिर यह पूर्ण ईमानदारी से होना चाहिए. लेकिन उस समय गांधी जी और नेहरू के अड़ जाने से ऐसा न हो सका. यदि डॉ. आंबेडकर की बात मान ली गई होती तो आज भारत की तस्वीर ही अलग होती.
शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने अतिथियों और यात्रा में शामिल लोगों को आशीर्वचन दिया. कहा कि हिन्दू समाज ने शौर्य जागरण किया. अब आपको अपने महापुरुषों के शौर्य को, अपने शौर्य को जागृत रखना है.
संत रविदास मंदिर के महंत भारत भूषण महाराज ने कहा कि मुग़ल आक्रांताओं ने भारत के हिन्दुओं पर बहुत अत्याचार ढाया है, तब हिन्दू समाज भी एकत्रित नहीं था. उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति को समझो, प्रेम करो. हम बिखरे हुए हैं, बाहर की शक्तियां हमें तोड़ने में लगी हुई हैं. हमें समाज के साथ मिलकर जाति भेद से ऊपर उठकर काम करना है. इस देश में दो तरह के लोग गुलाम हैं – एक मानसिक रूप से, दूसरे सामाजिक रूप से.
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कुछ लोग इजराइल में क्रूर हमला करने वाले आतंकी संगठन हमास का समर्थन कर रहे हैं, ऐसे लोग तो भारत हितैषी कदापि नहीं हो सकते. उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना के बहाने हिन्दुओं को अलग-अलग बांटने का कुचक्र रचा जा रहा है, ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए. देश के हिन्दू उनकी चाल को समझ रहे हैं. ऐसे झांसे में कदापि आने वाले नहीं हैं. इज़राइल में आतंकियों ने जिस तरह का बर्ताव किया, वह पूरे विश्व को चिंता में डाल गया. ऐसे विधर्मियों और कट्टरवादियों के क्रूर करतूतों से आज पूरे विश्व में स्थिति बेहद विकट है.
विहिप के क्षेत्र संगठन मंत्री गजेंद्र जी ने कहा कि देश में हिन्दुओं के खिलाफ विधर्मी लगातार षड्यंत्र रचते रहते हैं. हिन्दू समाज को चेतना जागृत कर स्वयं से मजबूत होना होगा.
अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी महाराज ने कहा कि अब भी समय है हिन्दुओं संगठित और एक हो जाओ, वरना पश्चाताप करोगे. समारोह का संचालन क्षेत्रीय सत्संग प्रमुख दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने किया.