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राजा दाहिर के शौर्य, साहस व बलिदान पर आधारित नाटक का मंचन - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

राजा दाहिर के शौर्य, साहस व बलिदान पर आधारित नाटक का मंचन

अजमेर. कला एवं साहित्य को समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती अजयमेरु, उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज तथा सतगुरु इंटरनेशनल स्कूल के सौजन्य से शनिवार शाम को आयाम संस्था जयपुर ने राजा दाहिर नाटक का मंचन किया.

सातवीं शताब्दी में सिंध में हुए घटनाक्रम पर उदयशंकर भट्ट द्वारा लिखित इस नाटक का निर्देशन रंगकर्मी संदीप लेले ने किया. सतगुरु इंटरनेशनल स्कूल के सभागार में मंचित इस नाटक को देखने के लिए बड़ी संख्या में नाट्य प्रेमी पहुंचे. रह रहकर गूंजती तालियों की गड़गड़ाहट ने कलाकारों का उत्साहवर्धन किया.

तत्कालीन घटनाक्रम में 24 कलाकारों सिंध की गाथा, सिंध के शौर्य, राजा दाहिर के बलिदान को मंचन के जरिए जीवंत कर दिया. राजा दाहिर के सिंध की राजगद्दी पर आरुढ़ होने से पहले सिंध को छह बार अरबों का आक्रमण झेलना पड़ा. लेकिन अरबों को सिंध में हर बार हार का मुंह देखना पड़ा. सातवीं बार अपने ही लोगों की तरफ से किए गए विश्वासघात के कारण सिंध के राजा दाहिर का बलिदान हुआ. उनकी पत्नी ने वीरागंनाओं के साथ जौहर किया. बाद में उनकी दोनों पुत्रियों ने खलीफा से बदला लेते हुए प्राणों की आहुति दी.

अपने राष्ट्र के लिए पूरे परिवार का यह बलिदान दर्शकों को भावुक कर गया. करीब डेढ घंटे की अवधि के नाट्य मंचन के दौरान दर्शकों ने राजा दाहिर के शौर्य, साहस, त्याग, बलिदान को अनुभव किया. राजा दाहिर की पत्नी और पुत्रियों की वीरता और आखिर में बलिदान के दृश्यों को देख दर्शकों की आंखें नम हो गईं. राजा दाहिर का बलिदान बागियों और विश्वासघातियों के कारण हुआ.

इससे पहले आगंतुक अतिथियों शिक्षाविद मधुर मोहन रंगा, सतगुरु इंटरनेशनल के डायरेक्टर राजा थारानी, साहित्यकार डॉ. कमला गोकलानी, संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगीत कला विद्या संयोजक, डॉ. प्रकाश सिज्ञानी ने भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया. इस मौके पर सुरेश बबलानी की नई पुस्तक का विमोचन किया गया.

संस्था अध्यक्ष मधुलिका नाग ने आभार जताया. मंच संचालन महासचिव कृष्णगोपाल पाराशर ने किया.

प्रयागराज

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