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परिवर्तन समाज से आएगा, सत्ता से नहीं – निम्बाराम - ବିଶ୍ୱ ସମ୍ବାଦ କେନ୍ଦ୍ର ଓଡିଶା

परिवर्तन समाज से आएगा, सत्ता से नहीं – निम्बाराम

जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि परिवर्तन सत्ता के बल पर नहीं आता, बल्कि समाज के भीतर जन्म लेता है. अच्छी पहल कर सकारात्मकता बढ़ाते हैं तो समाज के बल पर परिवर्तन लाया जा सकता है. समाज में जीवन मूल्य, नैतिक मूल्य व सदाचार को लेकर चलने की क्षमता है. इसलिए समाज की भूमिका बड़ी है. हम सभी समाज का हिस्सा हैं. इसलिए समाज को एकजुट हो कर चलना है. सामाजिक समरसता की महती भूमिका है. हम सभी हिन्दू समाज के घटक हैं. कोई हिन्दू पतित नहीं है. वे भारतीय अभ्युत्थान समिति, जयपुर की ओर से आयोजित सामाजिक सद्भावना बैठक को संबोधित कर रहे थे.

कार्यक्रम में विभिन्न समाजों के पदाधिकारियों ने भाग लिया. सभी प्रतिभागियों ने इस बात पर सहमति जताई कि सभी समाजों को एक साझा एजेंडा लेकर चलना चाहिए. हिन्दू समाज में अनुसूचित जाति, वाल्मीकि समाज से लेकर ब्राह्मण, वैश्य सभी समाजों के लोग समाहित हैं. हमें प्रत्येक समाज को साथ लेकर आगे बढ़ना होगा.

निम्बाराम ने कहा, भेदभाव या छुआछूत का हिन्दुत्व में कोई स्थान नहीं है. समाज में इस दिशा में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है. आज यह नकारात्मकता समाज से विलुप्त हो रही है. अब बदलाव आया है. राजस्थान में ही पिछले एक वर्ष में 50 ऐसे उदाहरण हैं, जहां अनुसूचित वर्ग के दूल्हे को सामान्य अथवा ओबीसी वर्ग ने घोड़ी पर बिठाया है. लोकतंत्र में संविधान सर्वोपरि है. इसके तहत हमें संवैधानिक भाषा मिली हुई है. भेदभाव मिटाने के लिए हमें जाति सूचक संबोधन के स्थान पर संवैधनिक शब्दावली का प्रयोग करना चाहिए. जैसे सामान्य वर्ग या अन्य पिछड़ा वर्ग आदि. सामाजिक समरसता बढ़ाने की आवश्यकता है. जहां तक बात मतांतरण की है, घर वापसी होने लगी है. राजस्थान में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में लोग सनातन धर्म में घर वापसी कर रहे हैं. इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा का विषय भी चिंताजनक है. इसकी शुरूआत परिवार की सुरक्षा से की जा सकती है.

बैठक में समाज के प्रतिनिधियों ने महिला उत्पीड़न से लेकर विभिन्न विषयों पर चिंता व्यक्त की. साथ ही समाजों के बीच एकता स्थापित करने व परस्पर आलोचना से बचने की बात कही.

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